#JaunpurLive : संवारता चला जा!



बनकर  पानी  की  धारा  बहता  चला  जा,
बिना रुके,बिना झुके,काम करता चला जा।
विरोध  करना  ये  तो  दुनिया  का काम  है,
औरों को भी तू  रास्ता  दिखाता  चला जा।
रच  जवानी   से  यहाँ  कोई  नया इतिहास,
अपने क़दमों का निशान  छोड़ता चला जा।
तेरे  कर्म  ही    पहुँचायेंगे  तुम्हें   खुदा  तक,
दबे,  कुचलों  को  आगे   बढ़ाता  चला जा।
दहकते  तन  की ज्वाला  बुझाने  में  लगे हैं,
उन्हें  छोड़  पीछे  आगे निकलता  चला जा।
ये  जवानी,  ये  रंग,  रुत  कहाँ  है  टिकती?
खुदा  दिया  मौका, जहां सजाता  चला जा।
गंवाते  फिजूल  में  लोग  बेशकीमती  वक़्त,
धरती  को  हरियाली से  नहलाता चला जा।
गम और खुशी में देख फर्क न करना कभी,
दूसरों   की   तकदीर   संवरता   चला  जा।
जहाँ  टकराना  लगे  जरुरी  है,  टकरा  जा,
रिश्तों   की  बुनियाद तू  बचाता  चला जा।
ये   देश, ये  दुनिया,  करेगी   तेरा   सजदा,
बस  बादल  के  जैसा  बरसता  चला जा।

 
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