नया सबेरा नेटवर्क
मृत्यु रिपोर्ट कार्ड फॉर्मेट में कोविड के अलावा, सहायक कारण का भी पर्याय जोड़ना तात्कालिक जरूरी - तकनीकी खामी से जनता भ्रमित - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने आक्रमक हमला कर अप्रैल-मई 2021 में बहुत तांडव मचाया था। जिसमें सभी मेडिकल संसाधनों को निगलकर भारी कमी मचा दी थी। जिससे माननीय पीएम को वैश्विक रूप से सहयोग की अपील करनी पड़ी थीं, जिसके सकारात्मक परिणाम आए और डब्ल्यूएचओ, संयुक्तराष्ट्र सहित पूरे विश्व के अनेक देशों से भारत को सहायता करने लाइन लग गई और ऑक्सीजन प्लांट, वेंटिलेटर, दवाइयों सहित अनेक मेडिकल संसाधनों की आपूर्ति की गई और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया।...साथियों बात अगर हम सबसे अधिक त्रासदी की करें तो अप्रैल 2021 के अंतिम सप्ताह में ऑक्सीजन की भारी कमी महसूस की गई थीऔर पूरे देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मच गया था। जिसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग हमने अनेक टीवी चैनलों पर लगातार देखने को मिली थी क्योंकि उस समय अनेक प्रदेशों में लॉकडाउन चल रहा था और हम सारा दिन टीवी न्यूज़ चैनल पर अपडेट देख रहे थे। पूरे देश के अनेकों नामी-गिरामी अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी मच गई थी।अफरातफरी का माहौल बन गया था। खुद पीएम महोदय ने दो बार आकस्मिक हालात को काबू में लाने पर चर्चा के लिए हाई लेवल मीटिंग भी ली थी।उस समय 23-24 अप्रैल 2021 को दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 21 मरीजों कीऔर बत्रा हॉस्पिटल में 12 मरीजों की ऑक्सीजन कमी के कारण मृत्यु और महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार राजस्थान, सहित अनेक प्रदेशों में ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप होने के कारण मृत्यु की रिपोर्टस हमने टीवी चैनलों पर देखी थी। प्रिंट मीडिया में भी मामला बहुत उछला था।...साथियों बात अगर हम मंगलवार दिनांक 20 जुलाई 2021 को राज्यसभा संसद में पूछे गए इस संबंध में एक सवाल के जवाब की करें तो केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री महोदया ने कहा कि देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है, उन्होंने लिखित जवाब में कहा कि राज्यों ने ऑक्सीजन से मौत की कोई जानकारी केंद्र को नहीं दी है। दरअसल, राज्यसभा में एक सांसद की ओर से सवाल पूछा गया था कि देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत हुई है क्या?, इसके लिखित जवाब में मंत्री महोदया ने जानकारी दी कि राज्यों ने कोरोना से मौत के आंकड़े लगातार केंद्र को उपलब्ध कराए लेकिन किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी से मौत का जिक्र नहीं किया, याने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया कि स्वास्थ्य राज्य सरकार का विषय है। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की तरफ से कोरोना केस और मौत के आंकड़े नियमित तौर पर विस्तृत गाइडलाइन्स के मुताबिक मुहैया कराए जाते हैं, लेकिन किसी भी राज्य ने केंद्र सरकार को ये जानकारी नहीं दी कि उनके यहां ऑक्सीजन की कमी से किसी की जान गई। हालांकि केंद्र ने माना है कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की डिमांड पहली लहर के मुकाबले तीन गुना बढ़ गई थी।...साथियों बात अगर हम विपक्ष की करें तो इस जवाब से विपक्ष बहुत बिफर गया है और उन्होंने इस विषय पर अनेक प्रश्न खड़े किए। हालांकि पक्ष-विपक्ष की सरकारें भारत के सभी राज्यों में है। परंतु अगर राज्य सरकारों ने ही यह रिकॉर्ड नहीं दिया है तो केंद्र के पास कैसे आएगा।... साथियों बात अगर हम रिकॉर्ड नहीं आने की करें तो राज्यों को एक फॉर्मेट में कोरोना से मृत्यु का आंकड़ा लिखना होता है, अब चूंकि ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने से मरीजों के लंग्स पर विपरीत प्रभाव पड़ा और मरीज की मृत्यु हुई तो डॉक्टरों का कहना था लंग्स में क्षति से मृत्यु के कारण उसको कोविड की मृत्यु के कॉलम में डाला गया फॉर्मेट में अन्य पर्याय नहीं होने से ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु का मामला सामने नहीं आया, यह डॉक्टरों और संबंधित विशेषज्ञों ने टीवी चैनल पर अपने बयान में कहा है जो मैंने और आम जनता ने सुने।...साथियों बात अगर हम सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता की करें तो उन्होंने बुधवार दिनांक 21 अप्रैल 2021 को स्पष्ट किया और कहा कि सदन में मंगलवार को ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत पर सवाल पूछा गया था। इस पर जो उत्तर दिया गया,उस पर तीन चीजें ध्यान देने योग्य हैं। 1)केंद्र कहता है कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है। 2)केंद्र का कहना है कि हम सिर्फ राज्यों के भेजे डेटा को संग्रहित करते हैं। 3)हमने एक गाइडलाइन जारी किया है, जिसके आधार पर राज्य अपने मौत के आंकड़ों को रिपोर्ट कर सकें। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई मृत्यु पर कोई आंकड़ा नहीं भेजा। किसी ने ये नहीं कहा कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी को लेकर मौत हुई...। साथियों बात अगर हम फैक्ट की करें तो यह सच्चाई है कि जैसा हमने अप्रैल 2021 के अंतिम सप्ताह में टीवी चैनलों पर लाइव ग्राउंड रिपोर्ट देखे थे तो सच्च यह दिखी था कि ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीजों की मृत्यु हुई थी। मेरा मानना है कि फॉर्मेट में कॉलम नहीं होने से तकनीकी खामी के कारण यह चूक हुई है। जिस पर सरकारों ने निर्णय लेने की जरूरत है। परंतु यह खामी संज्ञान में आने से अभी तुरंत जानकारी फॉर्मेट में सुधार कर उसे विस्तृत करने की तात्कालिक जरूरत है। अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हम अध्ययन कर उसका विश्लेषण करेंगे तो हम देखेंगे कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन का भीषण संकट होने पर मरीजों की मृत्यु ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होना एक कारण था परंतु केंद्र और राज्य सरकारों के रिकॉर्ड पर ऑक्सीजन से एक भी मृत्यु रिकॉर्ड पर नहीं आई ऐसा संसद में लिखित जवाब दिया गया। परंतु रिपोर्ट मृत्यु कार्ड फॉरमैट में कोविड के अलावा सहायक कारण का भी पर्याय जोड़ना तात्कालिक जरूरी है क्योंकि तकनीकी खामी से जनता के भ्रमित होने का अंदेशा है।
-संकलनकर्ता-कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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