नया सबेरा नेटवर्क
मानवता जीवन से मिट रही है
हैवानियत प्रगति कर रही है,
प्राचीन व्यक्ति जिंदगी जीते थे
लेकिन अब तो मानो कट रही है।
शरीर का हर तत्व शिथिल है
रोयें ही मानो गवाही करती हैं,
अब मानव की आंखे शुष्क है
बसंत ही वाहवाही करती है।
राजनीति हर घर में हो रही है
समाज तो बस एक साधन है,
तुम अहंकार में डूबे दिखाई देते हो
बताओ वह कौन सा अनमोल धन है।
अब तो हर तरफ निर्ममता दिखाई देती है
जहां स्वच्छता की दरकार है वहीं गंदगी दिखाई देती है
जो दिमाग की गंदगी मिटा नहीं सकती
वहीं संस्थाएं अब बहुत सफ़ाई देती हैं।
गरीब , असहायो को मत सताओ
झूठी सहानुभूति मत दिखाओ,
अगर सच में प्रेम है दुर्बलो से तो
दिमाग़ में नहीं दिल में जगह बनाकर दिखाओ ।
– रितेश मौर्य
एम. ए. फाइनल ,राज कॉलेज
मो. नं –8576091113
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