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प्राकृतिक संसाधनों से मानवीय छेड़छाड़, विनाशलीला के लिए दोषी - एक आध्यात्मिक पहलू और वरिष्ठ नागरिक का भाव - एड किशन भावनानी
गोंदिया - पृथ्वी पर वैश्विक रूप से उपस्थित जीवों में मानव जीवन सर्वश्रेष्ठ बुद्धिजीवी माना जाता है। हमारे भारतीय आध्यात्मिक शास्त्रों और वरिष्ठ नागरिकों की अगर बात मानें तो पृथ्वी पर 84 लाख़ योनियां है। जिसमें से एक मानव योनि है जिसे सर्वश्रेष्ठ योनि की संज्ञा दी गई है।...साथियों ज्यादा पीछे नहीं परंतु अगर हम डेढ़ साल पीछे से आज तक की वैश्विक विनाशलीला का आंकलन करें, तो हम देखेंगे कि विश्व में इस अवधि में एशिया से लेकर यूरोप तक कुदरत का कहर या कुदरत में मानवीय हस्तक्षेप या मानव मेड जैविक हथियार या प्राकृतिक संसाधनों से मानवीय छेड़छाड़ का नतीजा समझे, यह मानवीय बुद्धि पर निर्भर करता है। परंतु इस अवधि में अभूतपूर्व विनाश लीला हुई है। जो हमने कोरोना महामारी, लैंडस्लाइड, तूफान, ज्वालामुखी भूप्रलय, जंगलों में आग, भूकंप के झटके, समंदर में आग, इत्यादि अनेक प्राकृतिक विनाश लीलाएं हमने अभी-अभी भारत सहित वैश्विक स्तर पर देखी है।...साथियों बात अगर हम भारत की करें तो मैंने आज एक वरिष्ठ नागरिक से इस संबंध में बात की, उन्होंने इन विपदाओं के लिए कुछ कुदरत की लीला का परिणाम बताया और कुछ हद तक प्राकृतिक संसाधनों से मानवीय छेड़छाड़ का नतीजा विनाश लीला के लिए दोषी बताया।...साथियों बात अगर हम भारत में आयी विनाशलीलाओं की करें तो हम पिछले डेढ़ साल से कोरोना महामारी की विनाश लीला, उसके आघात को सहन कर रहे हैं। जिसमें हमने अपने लाखों नागरिक खोए हैं और जिसके लिए वैश्विक स्तर पर एक देश के तरफ उंगली उठ रही है कि यह मानवीय उपज हैं याने एक जैविक हथियार मानव द्वारा विकसित है। दूसरी और हमने देखेकि उत्तराखंड में कैसे अभी- दो बार प्रलय आया याने लैंडस्लाइंड हुआ।और अभी भी लैंडस्लाइंड हो रहा है जो हम टीवी चैनलों पर पर देखते रहते हैं। उसमें भी हमने अपने हजारों नागरिक खोए हैं।...साथियों अभी-अभी हमने जो बहुत बड़े तूफान देखें पहला ताऊटे तूफान और दूसरा यास तूफान जिन्होंने कुछ राज्यों में भारी प्रलय मचाया और हमने अपने अनेक नागरिक खोए।..साथियों हमने कोरोना महामारी के चलते अनेक शहरों में भूकंप की घटनाएं भी सुनी हालांकि उनसे कोई जनहानि नहीं हुई। परंतु इस डेढ़ वर्ष में ही इतनी प्राकृतिक आपदाओं को हम देखकर सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि यह कुदरत का कहर है? या कुदरत में मानवीय हस्तक्षेप का नतीजा?...साथियों बात अगर हम वैश्विक स्तर पर करें तो पृथ्वी और अंतरिक्ष पर कई देश अपना दबदबा स्थापित करने की कोशिश में लगे हुए हैं। अभी हाल ही में चीन ने अंतरिक्ष स्पेस में एक विशाल स्टेशन स्थापित करने के लिए अपने 4 सदस्यों का दल वहां भेजा है और उस पर वह 3 माह रहेगें और कार्य करेगें वहां अमेरिका पहले से ही अपना स्टेशन स्थापित किए हुए है...। साथियों बात अगर हम प्रलय की करें तो अभी दिनांक 3 जुलाई 2021 को..जापान की राजधानी टोक्यो के पश्चिमी अतामी शहर में शनिवार को भारी बारिश के बाद तबाही मची। मिट्टी धंसने और मकानों के जमींदोज होने से बहुत लोग लापता हो गए।शिजुओका प्रांत के प्रवक्ता ताकामिची सुगियामा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बताया कि अतामी में दर्जनों मकानों के जमींदोज होने की आशंका है। दो जुलाई (एपी) उत्तरी कैलिफोर्निया में अत्यधिक गर्मी के बीच सैकड़ों दमकल कर्मी जंगलों में तीन स्थानों पर लगी भीषण आग पर काबू पाने के लिए गुरुवार को जूझते रहे। आग की लपटों ने कई घरों को नष्ट कर दिया और कुछ समुदाय इलाके को खाली करने पर मजबूर हो गए। क्षेत्र में मौजूद ज्वालामुखी, माउंट शास्ता धुएं के उठते गुबार से धुंध में लिपट गया था जिसकी पुष्टि अंतरिक्ष में मौसम संबंधी उपग्रहों से ली गई तस्वीर से हो रही थी। यह दृश्य पिछले साल कैलिफोर्निया में जंगलों में आग लगने के दृश्य की याद दिलाता है जब आग 17 हज़ार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा इलाके को अपनी जद में ले चुकी थी जो राज्य के दर्ज किए गए इतिहास में सबसे ज्यादा है। लैटिन अमेरिकी देश मैक्सिको की खाड़ी में समुद्र के पानी में आग लग गई। पानी के नीचे पाइपलाइन से गैस रिसाव केबाद समुद्र के पानी में आग लग गई। घटना के बाद समुद्र में आग की भीषण लपटें दिखने लगी। हालांकि, इस दुर्घटना में अभी किसी के हताहत होने की खबर नहीं। यह पाइपलाइन मैक्सिको की सरकारी पेमेक्स पेट्रोल कंपनी की है। पानी में आग लगने की घटना से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। पानी में करीब पांच घंटे तक आग धधकती रही। वीडियो वायरल होने पर ऐसा लग रहा था कि पानी में जैसे ज्वालामुखी फट गई है और बाहर आग का लावा निकल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, मैक्सिको की खाड़ी में एक पाइप लाइन से अचानक तेल का रिसाव होने लगा और फिर उसके बाद उसमें आग लग गई।देखते ही देखते समुद्र के बीचो बीच आग ने भयानक विकराल रूप ले लिया। एक तरफ समुद्र की लहरें और उसके ऊपर दहकती आग की बड़ी बड़ी लपटें देख लोग सहम गए। लोगों में डर इसलिए भी था, क्योंकि पास में ही तेल निकालने की मशीन भी लगी हुई थी और अगर इसमें आग लग जाती तो इस पर काबू पाना मुश्किल हो जाता। विश्व के सबसे खतरनाक ज्वालामुखी में शुमार यलोस्टोन में पिछले करीब दो साल से 'भाप के विशाल बादल' निकल रहे हैं। अमेरिका के वयोमिंग राज्य में स्थित इस महाविनाशक ज्वालामुखी में गर्म पानी का सबसे ऊंचा वेंट है। इससे गर्म पानी और भाप का गुबार लगातार उठ रहा है।यूएस जिओलॉजिकल सर्वे के मुताबिक यह वेंट मार्च 2018 के बाद से असाधारण तरीके से बहुत ज्यादा सक्रिय हो गया है। इससे स्थानीय लोगों के मन में आशंका के बादल मंडराने लगे हैं। यह ज्वालामुखी कितना तबाही ला सकता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर यलोस्टोन में विस्फोट हुआ तो 90 हजार अमेरिकी लोगों की तत्काल मौत हो जाएगी। यही नहीं पूरी धरती राख के विशाल बादल से ढक जाएगी इस आर्टिकल के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया साइट व टीवी चैनलों का साभार अतः उपरोक्त पूरे विवरण का अगर हम अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो विश्व में एशिया से यूरोप तक कुदरत का कहर है या कुदरत में मानवीय हस्तक्षेप का नतीजा, यह सोचने वाली बात है। प्राकृतिक संसाधनों से मानवीय छेड़छाड़ विनाश लीला के लिए दोषी है? एक आध्यात्मिक पहलू और वरिष्ठ नागरिक का भाव भी है। इस बातके ऊपर हम सबको चिंतन करना अनिवार्य है।
-संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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