नया सबेरा नेटवर्क
भारत, गांव में बसता है। लेकिन गांव शहरों की तरह नहीं होते। उनकी पहचान खेत हैं। जब भी आंखों के सामने गांव की छवि बनती है तो उसमें शहर की तरह ऊंची इमारतें, हाई-फाई स्कूल, बड़े अस्पाताल और मॉल आदि नहीं होते। दिखाई देते हैं तो मूलभूत सुविधाओं से जूझते लोग। संभव है कि भारत के कई गांवों की स्थिति ऐसी हो, लेकिन भारत में ही एक गांव ऐसा भी है जिसे देश के सबसे अमीर गांवों में से एक माना जाता है।
गुजरात के कच्छ जिला में स्थित इस गांव का नाम मधापर है, जो बैंक जमा के मामले में दुनिया के सबसे अमीर गांवों में से एक है। करीब 7,600 घरों वाले इस गांव में 17 बैंक हैं। और हां, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इन सभी बैंकों में 92 हजार लोगों के 5 हजार करोड़ रुपये जमा है।
इसका कारण ये है कि इन बैंकों के खाताधारक यूके, यूएसए, कनाडा और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में रहते हैं। उन्होंने एक उदाहरण सेट किया है कि कैसे अपनी जड़ों से जुड़े रहना और उसे कभी नहीं भूलना एक परिवर्तन लेकर आता है।
इस गांव के ज्यादा लोग NRI हैं। लेकिन उन्होंने देश के बाहर रहकर भी यहां पैसा जमा किया और स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, मंदिर, बांध, ग्रीनरी और झीलों का निर्माण कराया। रिपोर्ट्स के अनुसार, 1968 में लंदन में ‘मधापर विलेज एसोसिएशन’ नाम के एक संगठन की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य विदेशों में गांव को बेहतर बनाना और लोगों को आपस में जोड़ना था।
वैसे गांव वालों की कमाई का मुख्य स्रोत खेती है। उनका सामान मुंबई निर्यात किया जाता है। इसके अलावा, लंदन कम्यूनिटी से जुड़े रहने के लिए गांव भी एक दफ्तर है। इस सुमदाय का एकमात्र उद्देश्य संस्कृति और मूल्यों को जीवित रखना है।
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