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नई ड्रोन नियमावली 2021 से भारत के दूरदराज दुर्गम क्षेत्रों में रोज़गार और आर्थिक विकास की नींव पड़ेगी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत ने बीते वर्षों से लगभग हर क्षेत्र में बहुत तेजी के साथ विकास किया है खासकर तकनीकी क्षेत्र में भारत ने हर कार्य को मैन्युअल से डिजिटलाइजेशन में परिवर्तित कर दिया है जिससे काम की पारदर्शिता,साफगोई और विश्वास का पहिया पढ़ा है। अनेकों काम जो लाइनों में लगकर होते थे अब कंप्यूटर युग में घर बैठे हो रहे हैं जिसमें दिल्ली सरकार का आरटीओ संबंधी ऑनलाइन कार्य घर बैठे होने का उदाहरण पर्याप्त है।...साथियों बात अगर हम तकनीकी युग की करें तो इसका लाभ भारत के सभी नागरिकों को मिल रहा है इस बात से मैं कतई सहमत नहीं हूं!!! क्योंकि भारत एक गांवप्रधान कृषिप्रधान देश है, यहां आज भी लाखों लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां आनेजाने का पर्याप्त साधन तक उपलब्ध नहीं है तथा प्राकृतिक आपदाओं, बारिश के मौसम में तो यह समस्या और अधिक गंभीर और भीषण हो जाती है उन गांव वासियों तक पहुंचने तो क्या उनके लिए जीवनयापन की जरूरी वस्तुएं पहुंचाना बहुत मुश्किल हो जाता है। रोड परिवहन तो क्या वायु परिवहन का साधन तक नहीं बन सकते तो मानवीय जीवनयापन कितना कठिन होता होगा। हालांकि इससे निपटने और अन्य कामों के लिए भारत में ड्रोन रखने की का प्रयास भी किया जाता है और ऐसे दुर्गम इलाकों में सहायता का प्रयास किया जाता रहा है। इसका उदाहरण हम एयर मॉडलिंग शो में देखते हैं कि कैसे मानव रहित विमान प्रणाली याने ड्रोन मानवीय रिमोट से दूर तक उड़ता सामान ले जाता है। इसका डिस्प्ले हमने स्कूलों में इस शो के दौरान देखे हैं परंतु अभी कुछ माह पूर्वहीइसका दुरुपयोग हमने देखे जब जम्मू में अभी इंडियन एयरफोर्स के बेस पर हमला हुआ। हम लेके बाद केंद्र सरकार ने ड्रोन के इस्तेमाल के लिए नई नीतियों की घोषणा कर दी है। दरअसल जम्मू में इंडियन एयरफोर्स के बेस पर हुए ड्रोन हमले के बाद अथॉरिटीज और सरकार सुपर एक्शन मोड में है।इसी के तहत ड्रोन रूल्स 2021 की घोषणा की गई है।...साथियों बात अगर हम ड्रोन की करें तो, मानव रहित विमान प्रणाली को आमतौर पर ड्रोन के रूप में जाना जाता है।यह प्रणाली अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों जैसे कृषि, खनन, बुनियादी ढांचा, निगरानी, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा और कानून लागू करने के बारे में अधिक लाभों का प्रस्ताव करती है। ड्रोन अपनी पहुंच, प्रतिभा, सरल उपयोग के कारण, विशेष रूप से भारत के दूर-दर्राज तथा दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं। नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, मितव्ययी इंजीनियरिंग में अपनी परंपरागत मजबूती और व्यापक घरेलू मांग को देखते हुए भारत में वर्ष 2030 तक वैश्विक ड्रोन केन्द्र बनने की संभावना है।...साथिया बात अगर हम नई ड्रोन नियमावली 2021 की करें तो,नागर विमानन मंत्रालय ने मार्च, 2021 में यूएएस नियमावली 2021 प्रकाशित की थी जिसे शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स, एंड-यूजर्स और अन्य हितधारकों ने स्वाभाविक रूप से प्रतिबंधात्मक माना था, क्योंकि इनमें अधिक कागजी कार्रवाई की जरूरत थी और ड्रोन की प्रत्येक उड़ान के लिए कई अनुमति लेने कीजरूरत के साथ-साथ बहुत कम फ्री टू फ्लाई ग्रीन जोन उपलब्ध थे। इनके बारे में प्राप्त हुए फीडबैक के आधार पर सरकार ने यूएएस नियमावली, 2021 को रद्द करने और उसकी जगह उदार बनाई गई ड्रोन नियमावली, 2021 लागू करने का निर्णय लिया है।...साथियों बात अगर हम नए ड्रोन नियमावली 2021 के उदार किए गए नियमों की करें तो (1)-प्रपत्रों की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी गई हैं। (2)-72 प्रकार के शुल्कों की संख्या घटाकर 4 कर दी गई हैं। (3)-शुल्क की मात्रा को घटाकर नाममात्र स्तर पर कर दिया गया है और जिनका ड्रोन के आकार के साथ कोई संबंध नहीं रहा है। उदाहरण के लिए, रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क जो बड़े ड्रोन के लिए 3 हज़ार रुपये था उसे सभी श्रेणियों के लिए घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है जो 10 साल के लिए वैध रहेगा। (4)-डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ता के अनुकूल सिंगल-विंडो सिस्टम के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें न्यूनतम मानव इंटरफेस होगा और अधिकांश अनुमति स्व:जनित होंगी। (5)-इस नियमावली के प्रकाशन के 30 दिनों के अंदर डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव एयरस्पेस नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा। (6)-भारतीय ड्रोन कंपनियों में विदेशी स्वामित्व के बारे में कोई प्रतिबंध नहीं है। (7)-ड्रोन का आयात डीजीएफटी द्वारा नियंत्रित होगा। (8)-डीजीसीए से आयात मंजूरी की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। (9)-ड्रोन नियमावली, 2021 के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है। जिसमें ड्रोन टैक्सियां भी शामिल होंगी। (10)-डीजीसीए ड्रोन प्रशिक्षण जरूरतों का निर्धारण करेगा, ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस भी उपलब्ध कराएगा। (11)-ग्रीन जोन में ड्रोन के परिचालन के लिए किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। ग्रीन जोन का अर्थ है 400 फीट या 120 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी तक का हवाई क्षेत्र है जिसे एयरस्पेस नक्शे में लाल क्षेत्र या पीले क्षेत्र के रूप में नामित नहीं किया गया है और एक परिचालन हवाई अड्डे की परिधि से 8 और 12 किलोमीटर की पार्श्व दूरी के बीच स्थित क्षेत्र से 200 फीट या 60 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी के ऊपर का हवाई क्षेत्र। (12)-पीले जोन के हवाई अड्डे की परिधि के 45 किलोमीटर से घटाकर 12 किलोमीटर तक कर दिया गया है। (13)-माइक्रो ड्रोन्सऔर नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। 14)-किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस को जारी करने से पहले सुरक्षा मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं होगी। (15)-ग्रीन जोन में स्थित अपने या किराए के परिसर में ड्रोन का संचालन करने वालीअनुसंधान एवं विकास संस्थाओं को टाइप सर्टिफिकेट, विशिष्ट पहचान संख्या और रिमोट पायलट लाइसेंस की कोई जरूरत नहीं है,इस तरह टोटल 30 प्वाइंटों में नियमावली की व्याख्या की गई है।...साथियों बात अगर हम इस संबंध में पीएम के ट्वीट की करें तो उन्होंने कहा, ड्रोन संबंधी नए नियमों से भारत में इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण की शुरुआत हो गई है।ये नियम विश्वास और स्व-प्रमाणन की अवधारणा पर आधारित हैं। जिसमें अनुमोदन एवं अनुपालन से संबंधित आवश्यकताओं और इस क्षेत्र में प्रवेश करने संबंधी बाधाओं को काफी हद तक कम कर दिया गया है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मानव रहित विमान प्रणाली ड्रोन संबंधी नई नियमावली 2021 लागू हो चुकी है जो अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में उदार नियमावली से लाभ होंगे और इससे भारत के दूरदराज के दुर्गम क्षेत्रों में रोजगार और आर्थिक विकास की नींव पड़ेगी।
संकलनकर्ता-कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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