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#JaunpurLive : माफ़िया का बदलता स्वरूप 25

#JaunpurLive : माफ़िया का बदलता स्वरूप 25


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- झील व ग्रीनलैंड में ठिकाना बनाए घड़ियाल और एनाकोंडा निगल गए बीघों में गोमती नदी की तटवर्ती ज़मीन।
- औने पौने दाम पर बेचने वालों ने ज़मींनखोरों के जबड़े में डाल दी सरकारी भूमि।
वाराणसी। जिस तरह देसी मछलियों में पुरानी गिरई नदी तालाबों में पानी कम होते देख तली पकड़कर भूमिगत हो जाती हैं उसी तरह जौनपुर शहर में सूचीबद्ध हुए 1600 भू-माफ़िया में शामिल एनाकोंडा, मगरमच्छ, घड़ियाल, पनियहवां सांप आदि के लिए झील नाकाफ़ी साबित होने लगी। इसमें से एक एनाकोंडा, एक घड़ियाल समेत कई अन्य जलजीवों ने गोमती नदी पर अपने जबड़े गड़ा दिए। इसका खुलासा पांच अगस्त को तब हुआ जब मास्टर प्लान वाले 250 लोगों की सूची निकाले।
एक एनाकोंडा ने तो गोमती किनारे की कई बीघा जमीन एक दशक से ले रखी है। दूसरे घड़ियाल ने भी झील में दो भवन में बड़े व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाने के बाद गोमती किनारे नींव भी भर दी। तब के तत्कालीन अधिकारी मिले हुए थे और मल्लाहों ने तगड़ा विरोध किया था। निर्माण कार्य रुक गया और अब सहज किंतु सख्त डीएम मनीष कुमार वर्मा ने जौनपुर की कमान सम्भालते ही जांच कराकर 1600 भू-माफ़िया खोज लिए। इनको नोटिस देने, सुनवाई करने और जो कानून का उल्लंघन कर रहे उनपर एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई भी शुरू कर दी। अभी तक भू-माफ़िया का काम कीमती पान और तत्कालीन खब्बू नेताओं के सहारे चलता रहा लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व ने ब्यूरोक्रेट्स पर जिम्मेदारी देकर भरोसा जताया जिसके परिणाम भी सामने हैं। जौनपुर में साढ़े छह दशक बाद महायोजना 2021 लागू होने के साथ इसपर कार्य भी शुरू हो गया। यहां के दबंग भू- माफ़िया हर दरवाजा खटखटाने के बाद अब उम्मीद लगाए हैं कि जल्दी से विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो ताकि यह मामला एक बार फिर दब जाए। इसके बाद कौन पूछेगा? लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि महायोजना की रिपोर्ट शासन निरन्तर ले रहा। जेडीए की स्थापना भी होनी है। बम्पर रेवेन्यू के लिए प्रशासन ने ज़मीन खोदकर वह फाइलें खोज निकाली जिसमें दर्जनों अरब के रेवेन्यू दबे थे। पूर्ववर्ती अफ़सर तो पानी बताशा खाकर निकलते गए लेकिन वर्तमान डीएम सादा कपड़ा,भोजन वाले ठहरे। पान तक खाते नहीं। मुख्यमंत्री योगी की तरह इनकी ईमानदारी पर शक करना सूरज को दीया दिखाने जैसा होगा क्योंकि यह अपनी पिछली तैनाती में परिवार का इलाज जिला अस्पताल में कराए। ऐसा उन्होंने दिखाने के लिए नहीं किया बल्कि सरकारी अस्पताल और चिकित्सकों पर भरोसा जताया। हालांकि जिले का एक चिकित्सक जो कोरोना और आयुष्मान भारत योजना में खूब लूटा वह डीएम बंगले की परिक्रमा कर रहा पर उसे घास नहीं मिल रही। डीएम श्री वर्मा बेहिचक बताते हैं कि छोटे पद पर रहे इनके पिता के सपने बड़े थे। बेईमानी उन्हें रास नहीं आती थी। खैर डीएम को पता चल गया है कि झील के कितने जलजीव और कहां, कहां ज़मींनखोरी किए हैं, उनपर की जाने वाली सख्ती नज़ीर होगी। क्रमशः

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