नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। शुक्रवार को पूरे जिले में यौमे आशूरा गमगीन माहौल में मनाया गया। कोविड-19 के चलते इस साल भी जुलूस निकालने की अनुमति नहीं मिली थी, इसलिए अजादारों ने अपने अजाखानों में रखे ताजियों को स्थानीय कर्बला में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया। इस दौरान शहर में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद दिखी। खास तौर पर बेगमगंज के सदर इमामबाड़ा में भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनाती रही। नवी मोहर्रम को नगर के शिया बाहुल इलाका बलुआ घाट, कल्लू इमामबाड़ा, पान दरीबा, पुरानी बाजार, पोस्तीखाना, मुफ्ती मोहल्ला, छोटी लाइन इमामबाड़ा सहित अन्य स्थानों पर अजादारों ने पूरी रात नौहा मातम कर कर्बला के शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। सुबह फज्र की नमाज के बाद अलविदा नौहा पढ़कर इमाम हुसैन को रुखसत किया। गौरतलब है कि 1400 साल पहले दस मोहर्रम को हजरत इमाम हुसैन व उनके 71 साथियों को कर्बला के मैदान में यजीदी हुकूमत की फौजों ने 3 दिन का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया था। यहां तक कि 6 महीने के बच्चे जनाबे अली असगर को भी प्यासा शहीद कर दिया गया था जिन्हें इमाम हुसैन पानी पिलाने कर्बला के मैदान में ले कर गये थे। यही वजह है कि दसवीं मोहर्रम को यौमे आशूरा मनाया जाता है। रात भर मजलिस मातम के बाद सुबह आमाल लोगों ने अदा किया। शाम को शामे गरीबा की मजलिस इमामबाड़ा में सम्पन्न हुई। हर तरफ बस ‘या हुसैन-या हुसैन’ की सदा सुनाई दे रही थी।
Ad |
Ad |
from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3j4ZErS
0 Comments