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नवीनीकृत अत्याधुनिक राष्ट्रीय जीन बैंक से देश में स्वदेशी फसलों की विविधता संरक्षण - बीजों की विरासत को वर्षों से सहेजकर रखा जा सकता है - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत एक कृषि व गांव प्रधान देश है। हम सभ जानते हैं कि भारत के अधिकतर नागरिक गांव में रहते हैं और कृषि पर निर्भर हैं।...साथियों बात अगर हम दशकों पूर्व की करें तो कृषि क्षेत्र में सूविधाओं का बिल्कुल अभाव था। बरसात के दिनों में पत्तों और बांस की कमची से बनी टाट से शरीर को ढककर किसान कृषि संबंधी कार्य करते थे। बीजों के संरक्षण की कोई सुविधा नहीं थी और हर तरह का कृषि संबंधी कार्य मानवीय शारीरिक श्रमसे किया जाताथा, लेकिन फ़िर भी प्रकृति का ताना-बाना मजबूत था, जलवायु परिवर्तन की समस्या नहीं थी, बिना मौसम परिवर्तन हुए कुछ आपात नहीं होता था याने बरसात, सर्दियों, गर्मियां अपनी मुद्दत पर होती थी। पूरा समन्वय रहता था। तब देश में कुपोषण यह प्रलय, प्राकृतिक आपदा, महामारी इत्यादि आधुनिक वजहों से मौतें अपेक्षाकृत नहीं होती थी अपेक्षाकृत किसान ख़ुश थे। परंतु बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि बिस्तर जितना पानी में डूबेगा उतना भारी होते जाएगा!!! सच!! बिल्कुल सच!!! आज हम देख रहे हैं कि, शारीरिक श्रम और प्रकृति का ताना-बाना पूरा जैसे-जैसे टूटा वैसे वैसे हमें मुश्किलें आना शुरू हुई। हालांकि वैज्ञानिक आधारों का चलन शुरू हुआ जो आज हम देख रहे हैं कि कृषि संबंधी हर कार्य वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी के आधार पर हो रहा है जिसके कई सकारात्मक तो कहीं प्राकृतिक आपदाओं से नकारात्मक परिणाम में हो रहे हैं। परंतु उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ मिलकर सफल प्रयासोंके फलस्वरूप आज कृषि क्षेत्र में तेज़ी से विकास हो रहा है।...साथियों बात अगर हम आधुनिक काल में कृषि क्षेत्र के मूल आधार, बीजों के संरक्षण की करें तो दिनांक 16 अगस्त 2021 को शाम, राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, पूसा, नई दिल्ली में विश्वके दूसरे सबसे बड़े नवीनीकृत अत्याधुनिक राष्ट्रीय जीन बैंक का लोकार्पण केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने किया। यह राष्ट्रीय राजधानी में स्थित दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जीन बैंक है। इसकी स्थापना वर्ष1996 में भावी पीढ़ियों के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों के बीजों को संरक्षित करने के लिए की गई थी। सरकारी वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है। पीआईबी विज्ञप्ति के अनुसार इसमें बीजों के रूप में लगभग दस लाख जर्मप्लाज्म को संरक्षित करने की क्षमता हैं। पादप आनुवंशिक संसाधनों (पीजीआर) के बीजों को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करने हेतु वर्ष 1996 में स्थापित नेशनल जीन बैंक में बीज के रूप में लगभग 10 लाख जर्मप्लाज्म को संरक्षित करने की क्षमता है। वर्तमान में यह 4.52 लाख बीजों का संरक्षण कर रहा है, जिसमें 2.7 लाख भारतीय जननद्रव्य हैं, शेष अन्य देशों से आयात किए हैं। राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, दिल्ली मुख्यालय व देश में 10 क्षेत्रीय स्टेशनों के माध्यम से इन-सीटू और एक्स-सीटू जर्मप्लाज्म संरक्षण की आवश्यकता को पूरा कर रहा है। इसमें बीजों की विरासत को माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में वर्षों तक सहेज कर रखा जा सकता है।...साथियोंबात अगर हम भारत की करें तो भारत एक, वैविध्यपूर्ण पादप भौगोलिक क्षेत्रों तथा विविध कृषि जलवायु क्षेत्रों एवं सम्पन्न सांस्कृतिक तथा पारम्परिक ज्ञान की विरासत के कारण भारतवर्ष औषधीय एवं सगंध पौधों की सम्पदा से एक सम्पन्न राष्ट्र है। अनेक भारतीय चिकित्सार पद्धतियों-आयुर्वेद, यूनानी एवं सिद्ध पद्धतियों में, लगभग एक हज़ार पौधों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिये किया जाता रहा है। इनमें से लगभग एक सव पौधे जिनकों अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आधुनिक औषधियों तथा सौन्दर्य प्रसाधनों के निर्माण हेतु प्रयुक्त किया जाता है। इन एक सव पौधों में से लगभग पचास पौधे भारतीय मूल के पौधे है। इन पौधों से प्राप्त क्रियाशील जैविक अणुओं तथा पौधों के नवीन उपयोग के कारण यह आवश्यक हो गया है कि इन पादप आनुवांशिक संसाधनों की वनस्पतिक विविधता का संरक्षण किया जाय।...साथियों बात अगर हम इनके खतरे की करें तो मनोवोद्भिक विकास, जनसंख्या विस्फोट, शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण से वातावरणीय रासायनिक संरचना में निरंतर परिवर्तन हो रहा है जिसके कारण वानस्पतिक जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है...। साथियों बात अगर हम इस विश्व के दूसरे सबसे बड़े नवीनीकृत जींस बैंक को राष्ट्र को समर्पित करने के अवसर की करें तो केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कृषि क्षेत्र के समक्ष विद्यमान चुनौतियों को स्वीकार करते हुए उनपर विजयी प्राप्त करने में भारत के किसान पूरी तरह सक्षम है, हमारे किसान बिना किसी बड़ी शैक्षणिक डिग्री के भी कुशल मानवसंसाधन है। हमारे पीएम को किसानों की भलाई की लगातार चिंता रहती है और उनकी आय बढ़ाने के लिए अनेक योजनाओं के माध्यम से सरकार द्वारा ठोस कदम उठाए गए हैं। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने ब्यूरो के कुछ प्रकाशनों का विमोचन किया तथा पीजीआर मैप एप लांच किया। कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि जर्मप्लाज्म के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं सहित नवीनीकृत जीन बैंक से कृषि-किसानों को काफी फायदा होगा। सरकार सकारात्मक सोच से काम कर रही है।पीएम का लक्ष्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का है, सरकार इस दिशा में हरसंभव प्रयास कर रही है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के राष्ट्रीय जीन बैंक विश्व के दूसरे सबसे बड़े नवीनीकृत जीन बैंक जो राष्ट्र को समर्पित हुआ है उसे कृषि किसानों को सबसे अधिक फायदा होगा। नवीनीकृत अत्याधुनिक राष्ट्रीय जीन बैंक से देश में स्वदेशी फसलों की विविधता संरक्षण और बीजों की विरासत को सहेज कर रखा जा सकता है।
-संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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