Adsense

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष | #NayaSaberaNetwork

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
------------------------------------
हमारे सनातन धर्म की मान्यता है कि भाद्रपद की अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र की मध्य रात्रि मे जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु जी का आठवाँ अवतरण श्री कृष्ण जी के रुप मे हुआ और इसी दिन को हम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या गोपाष्टमी के रुप में बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाते है। श्री कृष्ण जी को अनेको नाम से जाना जाता है जैसे-कान्हा, घनश्याम, श्रीकृष्ण, नटवर, नन्दलाल, गोपाल, बाल गोपाल, बालमुकुन्द, गोपी, मनोहर, श्याम, गोविन्द, मुरारी, केशव, मुरलीधर, मन मोहन आदि ।
जन्माष्टमी की कहानी कुछ इस प्रकार है- द्वापर युग में मथुरा के राजा भोजवंशी उग्रसेन थे। इनका स्वभाव बहुत सरल था किन्तु इनका पुत्र बहुत ही क्रूर था, वह इतना क्रूर था कि अपने पिता उग्रसेन को ही बन्दी बनाकर खुद को राजा घोषित कर लिया था, उस पुत्र का नाम था कंस। कंस को एक बहन भी थी जिसका नाम देवकी था, कंस देवकी को बहुत ही लाड-प्यार करता था। देवकी का विवाह वासुदेव नामक एक यदुवंशी से हुआ था। कहते है कि जब देवकी का विवाह हुआ तो उसकी विदाई का रथ कंस स्वयं हांक रहा था उसी समय आकाशवाणी हुई कि 'हे कंस जिस देवकी का तूं रथ हांक रहा है उसी देवकी की आठवीं संतान तेरे विनाश का कारण बनेगी और  तेरा वध करेंगी'। इतना सुनकर कंस ने रथ को रोका और वासुदेव को मारने के लिए आगे बढ़ा तो देवकी ने कंस से प्रार्थना की वह वासुदेव को न मारे और देवकी अपनी आठवी संतान स्वयं से कंस को देने का वचन दिया तो उसने उनका वध नही किया। देवकी की इस बात को मानकर कंस ने दोनो को बन्दी बनाकर कारागार मे डाल दिया। इस प्रकार देवकी को जब-जब संतान पैदा होती थी तो कंस आकर उनका बध कर देता था। और जब देवकी के आठवीं संतान की बारी आई तो कंस ने कारागार में कड़ा पहरा लगा दिया। तब भाद्रपद की अष्टमी तिथि को देवकी के आठवीं संतान के रुप में खुद श्री हरि विष्णु ने श्री कृष्ण के रुप मे अवतार लिया और हरि कृपा ऐसी कि सारे पहरेदार सो गये, कारागार के दरवाजे अपने आप खुल गये और इन सब के साथ-साथ वासुदेव की बेड़िया भी खुल गयी तब वासुदेव ने उस घनघोर अंधेरी रात में बच्चे को सिर पर एक टोकरी में रखकर उफनती यमुना नदी को पार करते हुए नन्दबाबा के घर पहुँचे तो यशोदा मैया सो रही थी और नन्दबाबा ने वासुदेव से बच्चे को लेकर यशोदा के पास सुला दियें और लगभग उसी समय जन्मी अपनी बच्ची को वासुदेव जी को दे दिया, वह बच्ची खुद माया थी। तो इस प्रकार वासुदेव जी बच्ची को लेकर वापस कारागार पहुँचे तो यथावत् पहले वाली स्थिति हो गयी जब सिपाहियों की निद्रा भंग हुई तो उन्हे पता चला कि देवकी की आठवीं संतान ने जन्म लिया है तो उन्होने जाकर कंस को सूचना दी। कंस उसी समय कारगार मे आया तो देखा एक कन्या ने जन्म लिया है तो वह बहुत जोर-जोर से हँसने लगा और कहा कि देखिए कंस की डर से ईश्वर भी डर गया जो पुत्र की जगह पुत्री ने जन्म लिया, फिर उसने उस कन्या को भी मारने के लिऐ देवकी की गोद से उठा लिया और जैसे ही कन्या को पटकने के लिए हाथ उठाया उसी समय कन्या उसके हाथ से छूट कर आकाश में चली गयी और फिर आकाशवाणी हूई कि हे कंस तेरा काल जिसे तूं यहाँ मारने आया था वह वृन्दावन में सुरक्षित है और जल्द ही समय आने पर तेरे पापों की सजा तुझे देगा। इस प्रकार वह मायारुपी कन्या वहाँ से अन्तर्धान हो गयी। उसके बाद से कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए बहुत उपाय किया किन्तु समय के आगे उसकी एक नही चली और समय आने पर श्री कृष्ण ने कंस के अत्याचारों की सजा उसके मृत्यु के रुप मे दिया अर्थात् उसका बध किया और इस पृथ्वी पर से अत्याचार को समाप्त किया।
जन्माष्टमी पर हम श्रीकृष्ण को बालरुप में पूजते है, इनके जन्मदिन को बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते है। जन्माष्टमी के दिन लोग सुबह से व्रत रखते है तथा श्रीकृष्ण की पूरे विधि-विधान से पूजा करते है और मध्यरात्रि उनका जन्म मनाते है। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस व्रत को करता है उसके सारे पाप धुल जाते है और वह सीधे बैकुण्ठधाम को जाता है अर्थात् उसको सीधे श्री हरि विष्णु के पैरों मे जगह मिलती है, अतः हम कह सकते है कि व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जन्माष्टमी पूजन विधि इस प्रकार है-
*पूजा प्रारम्भ करने से पहले अपने को पवित्र करें और व्रत एवम् पूजा का संकल्प लें।
* सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें। क्योंकि हम कोई भी पूजा करते है तो सबसे प्रथम पूजनीय गणेश पूजा ही होती है।
* जन्माष्टमी में श्रीकृष्ण की पूजा बालगोपाल के रुप में होती है।
* बालगोपाल को सबसे पहले शुद्ध जल से स्नान करायें ।
* पंचामृत स्नान करायें।
* फिर शुद्ध जल से स्नान करायें।
* शंख मे दूध लेकर भगवान् का अभिषेक करें क्योंकि विष्णु जी को शंख बहुत प्रिय है।
* वस्त्र अर्पित करें।
* आभूषण अर्पित करें।
* अष्टगंध या कस्तूरी का तिलक करें।
* फूल माला चढ़ायें, हो सके तो पूजा मे पारिजात का फूल अवश्य सम्मिलित करें।
* मोरपंख अवश्य अर्पण करें।
* नैवेद्य अर्पण करें, नैवेद्य के रुप में माखन मिश्री को अवश्य शामिल करें इसमें तुलसी अवश्य रखे।
* आरती उतारें।
* प्रदक्षिणा अवश्य करें।
 श्री कृष्ण जी को माखन, मिश्री, तुलसी, पीपल, पंजीरी, शंख, गदा, पारिजात का फूल, बाँसुरी, मोरपंख आदि अत्यन्त प्रिय है। अतः इसमें जो भी सम्भव हो यथा शक्ति अर्पण करें, सौभाग्य की प्राप्ति होगी ।
पंडित संतोष तिवारी 'शांडिल्य'


*PRASAD GROUP OF INSTITUTIONS JAUNPUR & LUCKNOW | Approved by AICTE & Affiliated to UPBTE, Lucknow | Admission Open for 2021-22 | POLYTECHNIC | स्कॉलरशिप पर एडमिशन प्राप्त करें। सीमित सीटें। (For all Category) + Electrical Engineering + Mechanical Engineering (Pro) + Computer Science & Engineering + Electrical Engineering (IC) + Civil Engineering | Mechanical Engineering (CAD) | Electronics Engineering | 75वां स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें | Contact us: 7408120000, 9415315566 | PUNCH-HATTIA, SADAR, JAUNPUR | 100% Placement through Virtual Interview*
Ad


*रामबली सेठ आभूषण भंडार (मड़ियाहूँ वाले) की पहली वर्षगांठ पर 24-25 August 2021 को Special Offer # 100% Hallmark Jewellery # 0% कटौती पुराने गहनों पर #हीरे के गहनों पर 0% मेकिंग चार्ज # प्रत्येक 9000 के चांदी के जेवर ख़रीदे और एक सोने का सिक्का मुफ्त पायें # जितना सोना उससे दोगुना चांदी ऑफर # सम्पर्क करें - राहुल सेठ | मो. 9721153037, विनोद सेठ मो. 9918100728 # के.सन्स के ठीक सामने, कलेक्ट्री रोड, जौनपुर- 222002*


*Ad : ADMISSION OPEN - SESSION 2021-2022 : SURYABALI SINGH PUBLIC Sr. Sec. SCHOOL | Classes : Nursery To 9th & 11th | Science Commerce Humanities | MIYANPUR, KUTCHERY, JAUNPUR | Mob.: 9565444457, 9565444458 | Founder Manager Prof. S.P. Singh | Ex. Head of department physics and computer science T.D. College, Jaunpur*
Ad



from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/2WvO9R3

Post a Comment

0 Comments