नया सबेरा नेटवर्क
फोटोग्राफी की सम्पूर्ण जानकारी से पूर्ण रहा एपिसोड।
यह एपिसोड फोटोग्राफी विधा में विशेष रुचि रखने व सीखने वालो के लिए विशेष रहा।
इस एपिसोड में देश के तीन जाने माने वरिष्ठ फोटोग्राफर हुए शामिल।
लखनऊ। पेंटिंग और फोटोग्राफी दोनों ही दृश्यकला का अलग अलग माध्यम है दोनों की तुलना हम एक दूसरे से नहीं कर सकते। अमूमन लोग मेरी छायाचित्रों को कहते हैं कि यह पेंटिंग की तरह है उनके लिए यह जानना अति आवश्यक है कि दोनों ही अपने आपमे अलग विधा है किसी की तुलना किसी से नहीं किया जा सकता। बल्कि इनके सौंदर्य और इनके हर पहलू को जानने की आवश्यकता होती है। और कला में किसी से प्रभावित होना लाज़मी है लेकिन उसकी नकल नहीं करनी चाहिए बल्कि अपनी मौलिकता को प्रस्तुत करने की जरूरत होती है यही मौलिकता भविष्य में स्वयं की पहचान और एक हस्ताक्षर बनती है।
उक्त बातें रविवार को ऑनलाइन ज़ूम के माध्यम से अस्थाना आर्ट फोरम के ऑनलाइन मंच के ओपन स्पसेस वर्चुअल आर्ट टॉक एंड स्टूडियों विज़िट के 15वें एपिसोड में आमंत्रित वरिष्ठ फोटोग्राफर अनिल रिसाल ने कही। साथ ही उन्होंने फोटोग्राफी से जुड़े हर प्रश्न का उत्तर और उससे जुड़ी हर जानकारी के साथ विस्तार पूर्वक अपनी फोटोग्राफी यात्रा को कार्यक्रम से जुड़े सभी प्रतिभागियों से साझा की। इस कार्यक्रम के सफल संचालन और बातचीत करने के लिए युवा फोटोग्राफर एवं फोटोजर्नलिस्ट अतुल हुंडू रहे साथ ही इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में पूर्व वरिष्ठ संपादक एवं फोटोग्राफर प्रभात सिंह भी शामिल हुए। और बड़ी संख्या में देश व विदेशों से भी लोग हुए शामिल। कार्यक्रम के संयोजक भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान अतुल हुंडू ने फोटोग्राफी से जुड़ी हुई अनेकों प्रश्न पूछे जिसका उत्तर अनिल रिसाल ने बड़े ही सरलतापूर्वक और सहजता के साथ दिया और उनके जवाब से लोग संतुष्ट भी हुए। अनिल रिसाल ने अपने 45 वर्ष के फोटोग्राफी यात्रा के बारे में भी विस्तार से बताया साथ ही प्रेजेंटेशन के माध्यम से उन्होंने अपने विभिन्न तरीकों से किये गए फोटोग्राफी के चित्रों को भी साझा किया और एक एक चित्रों के बारे मे जानकारी भी दिया। अनिल रिसाल ने बताया कि फोटोग्राफी में रुचि बचपन से रही। और यही रुचि धीरे धीरे मेरा मुख्य लक्ष्य बना और बाद में मेरा कैरियर भी। मेरे लिए यह बहुत सौभाग्य की बात है कि जो मेरा पसन्दीदा रहा वही मेरा व्यवसाय भी बना। और आज भी इसी क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहा हूँ। वरिष्ठ फोटोग्राफर अनिल रिसाल का जन्म 1945 में आगरा में हुआ। लेकिन वर्तमान में काफी लंबे समय से लखनऊ उत्तर प्रदेश में रहते हैं, पिछले 45 वर्षों से फोटोग्राफी को अपने कला का माध्यम बनाया हुआ है। श्री रिसाल फेडरेशन ऑफ इंडियन फोटोग्राफी और प्रीमियर नेशनल बॉडी ऑफ फोटोग्राफी के पूर्व अध्यक्ष , कैमरा क्लब लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष व आजीवन सदस्य के रूप में भी हैं। 1974 में लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक, 1976 में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और फिर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई से फोटोग्राफी में डिप्लोमा किया। उसके बाद दुनियां भर में व्यापक रूप से यात्रा के साथ फोटोग्राफी की प्रदर्शनी भी लगाई गई । बड़ी संख्या में इनके छायाचित्रों का संग्रह देश व विदेशों के व्यक्तिगत एवं संस्थागत रूप में किया गया है। इनके फोटोग्राफी के लिए इन्हें देश व विदेशों के लगभग 250 पुरस्कार एवं सम्मान से भी सम्मानित किया गया है।
विशेष अतिथि प्रभात सिंह ने कहा कि मेरा और अनिल रिसाल का सम्बंध बरसों का है। यह संबंध फोटोग्राफर होने के नाते रहा और आजभी बना हुआ है। मैं रिसाल के छायाचित्रों का बहुत प्रेमी हूं इनके चित्रों को देखकर मुझे सुख मिलता है। एक अच्छा फोटोग्राफर सिर्फ अच्छे और ढेर सारे संसाधनों से नहीं बल्कि एक अच्छे विज़न एक अच्छी सोच, दृष्टि और विचार से होता है और यह सभी गुणों से भरपूर हैं अनिल रिसाल। और आज के दौर में जहाँ तकनीकी रूप से फोटोग्राफी में अनेकों प्रयोग किये जा रहे हैं वही हमे कला के एस्थेटिक्स को भी ध्यान में रखना चाहिए बिना इसके चित्रों में एक अधूरापन रहता है। दृश्यकला में एक मौलिक विचार की जरूरत होती है।
अनिल रिसाल ने एक उत्तर में कहा कि फोटोग्राफी में कोई सार्टकट नहीं, एक कलाकार को पूर्ण धैर्य, निरन्तर प्रयास और भरपूर समय देने की आवश्यकता होती है बिना इसके आपको सफलता कभी प्राप्त नहीं हो सकती। हां एक बार आप सार्टकट से सफल हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक आप टिक नहीं पाएंगे इसलिए टिके रहने के लिए समय के साथ आपको पूरी लगन के साथ काम करना होगा। एक रचनात्मक व्यक्ति ही दृश्य बदल सकता है। हमे वही करना चाहिए जिसमें हमारा मन लगे और पूरा समय दे सकें। हमारे चारों तरफ खूबसूरती है केवल उसे देखने की जरूरत है। समय ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। फोटोग्राफी में अपने मौलिकता के साथ नयापन जरूरी है। एक चित्रकार खाली कैनवस और खाली पेपर पर कुछ बना कर शुरुआत करता है लेकिन फोटोग्राफर के सामने बहुत कुछ होता है वह उनमे से कुछ ख़ास चुनाव के साथ काम करता है। वर्तमान में फोटोग्राफी के टेक्निकल आस्पेक्ट आसान हुए हैं लेकिन इसके साथ एक अच्छे विज़न की भी जरूरत है। हमे अपने चित्रों में विषय बहुत सरल रखने चाहिए। क्योंकि एक कलाकार की जिम्मेदारी भी है कि वह समाज के साथ साझा भी करे। फोटोग्राफी में जरूरत होने पर ही टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना चाहिए कभी कभी ज्यादा अच्छा करने के चक्कर मे चित्र खराब हो जाता है। अनिल रिसाल ने ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी से शुरुआत की जिसमे लैंडस्केप, पोर्ट्रेट, स्टील लाइफ, अब्स्ट्रक्ट, नेचर,वाइल्ड लाइफ , ज्यामितीय आकारों और वर्तमान में फॉर्म्स एंड कलर पर फोटोग्राफी में प्रयोग कर रहे हैं। रिसाल कहते हैं कि मैं कभी प्लान करके फोटोग्राफी नहीं करता। स्पॉट पर अपने विषय के साथ एक प्रयोग जरूर करता हूँ। मैंने वर्टिकल लैंडस्केप भी शूट किया है जिसका एक अलग अर्थ है। मैं अति साधारण चीजों में भी खूबसूरती ढूंढ लेता हूँ। मेरे चित्रों को लोग देखें और समझें यही ख़्वाहिश है चित्रों को सम्मान पुरस्कार प्राप्त होता है यह अलग विषय है । रेत की फोटोग्राफी करना भी बहुत पसंद है। देश विदेशों के अनेकों स्थानों पर फोटोग्राफी करने का अवसर मिला है। हम जितना देखकर सीखते हैं उतना अन्य माध्यमों से नहीं। मुझे अभी फोटोग्राफी में बहुत काम करना है और बहुत कुछ सीखना भी है यही इच्छा है।
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