नया सबेरा नेटवर्क
देश प्रेम!
कांटे ही उगेंगे जब कलियों की कोख से,
गुलशन की गलियों से भला कौन जाएगा।
कोई कुर्बानी देता, कोई भ्रष्टाचार करता,
कैसे मेरा देश महाशक्ति बना पाएगा।
डोली का कहार खुद दुल्हन की इज्जत लूटे,
कैसे कोई बेटी अपनी डोली में बिठाएगा?
रोज - रोज सांप को दूध जो पिलाओगे तो,
एक दिन वही सांप तुम्हें डस खाएगा।
अच्छी बात यही होगी, बम न बनाए कोई,
किसी माँ के लाल का लाल बच जाएगा।
नहीं ढँक पाया है किरणों को मेघ कभी,
पत्थर को दो आंसू,ताजमहल बना जाएगा।
दुआ जब पढ़ेगा दूसरों की खातिर जो,
उसको बचाने चक्रधर चला आएगा।
आंगन की ईंट जब आपस में लड़ने लगे,
घर के वसूल का मचान टूट जाएगा।
उमड़ा नहीं है जब देश - प्रेम दिल में,
त्याग -बलिदान की कहानी क्या सुनाएगा?
रामकेश एम. यादव(कवि, साहित्यकार,(मुंबई)
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