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मित्र!
हर किसी का अपना एक मित्र होना चाहिए,
मित्र भी वो बेहद सच्चरित्र होना चाहिए।
प्रेम भरी भावना हो औ हो अडिग विश्वास,
इस तरह का अपना विशिष्ट होना चाहिए।
पानी की तरह साथ में हो बहनेवाला,
दिल अपने उस मित्र का पवित्र होना चाहिए।
भले उसकी बोली का स्वाद हो वो कड़वा,
मगर उसके ज्ञान में वो इत्र होना चाहिए।
हर संकट में साथ हो और न छोड़े संग,
ऐसा अपने मित्र में त्याग होना चाहिए।
पाता दोस्त वही जो फ़र्ज की रखता समझ,
दोनों का साझा आसमान होना चाहिए।
अपनापन मिलता है बस अपने दोस्त से,
विश्वास की डोर दोनों हाथ होना चाहिए।
कृष्ण-सुदामा और देखो राम -हनुमान को,
दोस्ती का ऐसा पैमाना होना चाहिए।
अगर एक है भूखा, तो दूसरा भी न खाये,
दोनों की धड़कन का एक तार होना चाहिए।
जाति- पाँति के बंधन से वो सदा रहे ऊपर,
इस तरह का मित्रों! अपना मित्र होना चाहिए।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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