नया सबेरा नेटवर्क
अहमदाबाद । देश के बाकी हिस्सों की तरह गुजरात में भी कोरोना की दूसरी लहर ने तांडव मचाया। अप्रैल के दौरान प्रदेश में तेजी से कोरोना के मामले बढ़े थे। उस वक्त सेकेंड वेव पीक पर थी। हाहाकार मचा हुआ था। लेकिन, जिस तेजी से इन मामलों में बढ़ोतरी हुई थी, गिरावट भी उतनी ही जोरदार रही। कहावत है कि सोना तपकर ही निखरता है। जब आप किसी चीज से उबर जाते हैं तो आप और मजबूत हो जाते हैं।
गुजरात में कोरोना के मामलों का ग्राफ देखें तो यह घंटी के आकार वाला यानी 'बेल शेप्ड' है। 30 अप्रैल को जब कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी तो यहां केस बढ़कर 14,605 हो गए थे। यानी हर मिनट पर 10 केस देखने को मिल रहे थे। गिरावट भी उतनी ही तेज है। 30 मई को ये मामले घटकर 2,230 पर पहुंच गए। यानी गिरावट सात गुना तेजी से हुई।
कोरोना के मामलों में तेज उतार-चढ़ाव से आम आदमी और वैज्ञानिक दोनों हैरान हैं। गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (GBRC) के अध्ययन में अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। इसके अनुसार, कोरोना वायरस के डेल्टा वैरियंट में म्यूटेशन से लोगों में उतनी ही तेजी से एंटीबॉडी बनीं। इससे वायरस के खिलाफ 'हर्ड इम्यूनिटी' तैयार होने का रास्ता खुला।
इसे लेकर एक शोधपत्र पब्लिश किया गया है। इसका शीर्षक है 'डिफेक्टिव ओआरएफ8 डाइमराइजेशन इन डेल्टा वैरियंट ऑफ सार्स CoV2 1 लीड्स टू एब्रोगेशन ऑफ ओआरएफ8 एमएचसी-1 इंटरैक्शन ऐंड ओवरकम सप्रेशन ऑफ एडैप्टिव इम्यून रेस्पॉन्स'।
जीबीआरसी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि डेल्टा वैरियंट के चलते उन लोगों में भी ज्यादा एंटीबॉडी बनी जिन्हें मामूली संक्रमण हुआ। डेल्टा वैरियंट से एंटीबॉडीज का जेनरेशन तेजी से हुआ। यह पुराने वैरियंट में नहीं हुआ था।
एक रिसर्चर ने बताया कि डेल्टा वैरियंट में ओआरएफ8 पर दो मिसिंग अमीनो एसिड से वह एमएचसी-1 को मजबूती से होल्ड नहीं कर सका। एमएचसी-1 सेल सरफेस मॉलीक्यूल हैं जो इम्यून सिस्टम को अलर्ट करते हैं। इस कमजोर बॉन्डिंग के चलते इम्यून सिस्टम को अर्ली वॉर्निंग मिली। ऐसे में मामूली कोविड संक्रमण के बाद ही इम्यून सिस्टम ऐक्टिव हो गया।
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