नया सबेरा नेटवर्क
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आज भी अंधविश्वासों में जीते हैं
मंगल पर पहुंच गए
रूढ़ियों की बातें करते हैं
अशिक्षा ही वह जड़
जहां कीड़े पनपते हैं
शाखाएं कितनी मजबूत होंगी?
हम और आप समझते हैं
सरल नहीं कठिन
दलदल में फंसे को निकालना है
अंधेरों में प्रकाश लाना
उज्जवल भविष्य का निर्माण करना है
सत्य की राह पर ढोंगी नहीं चलता
ये हम और आप जानते हैं
फिर क्यों इनके झांसे में आते ?
चेतना कहती है_ ’शिक्षा से ही जीवन सुखी’ गुरु ही मार्ग बताता है।
(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी, प्रयागराज
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