नया सबेरा नेटवर्क
कविता
गुस्सा छोड़ो सहज़ता जोड़ो
गुस्से के उफ़ान में
अपराध हिंसा हो जाती है
घर बार जिंदगी तबाह हो जाती है
अहंकार दिख़ाने को छोड़ो
जिंदगी की दुर्गति की शुरुआत
अहंकार रूपी विकार से होती है
मानसिक असंतुलन की शुरुआत होती है
अपने आपको सहज़ता से जोड़ो
सहज़ता में संस्कार उगते हैं
सौद्राहता प्रेम वात्सल्य पनपता है
लक्ष्मी सरस्वती का आशीर्वाद बरसता है
जिंदगी को इन सुयोग्य मंत्रों से जोड़ो
गुस्से रूपी विकार को छोड़ो
अपने आपको विनम्रता से जोड़ो
इस मंत्र से भारत के हर व्यक्ति को जोड़ो
-लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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