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किसी भी साक्ष्य आधारित नीति निर्माण हेतु वैज्ञानिक तरीके से एकत्रित आंकड़े (डाटा) उस रणनीति का आधारभूत स्तंभ होता है - जनता का सहभागी होना महत्वपूर्ण | #NayaSaberaNetwork




सरकार द्वारा किसी भी क्षेत्र में जनमत सर्वेक्षण, गजट अधिसूचना में विधेयकों पर अपनी राय, सुझाव, आक्षेप सहित सभी आंकड़े दर्ज़ कराना जनता का महत्वपूर्ण कर्तव्य - नीति निर्धारण में सहायक - एड किशन भावनानी
नया सबेरा नेटवर्क
गोंदिया - वर्तमान डिजिटल दुनिया में आंकड़ों (डाटा) का महत्व बहुत बढ़ गया है। किसी ने ठीक ही कहा है कि दुनिया अब नंबर गेम पर टिकी है, क्योंकि नंबरगेम दुनिया में केंद्र राज्य सरकारें, अर्थव्यवस्था, नीति निर्धारण, जीवन-मृत्यु, जाती-प्रजाति, आधारभूत ढांचा, विकास, महामारीयों इत्यादि सभी क्षेत्रों में सभी पहलुओं में उपलब्ध आंकड़े (डाटा) बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि किसी भी साक्ष्य आधारित नीति निर्माण हेतु नियमित अंतराल पर प्राप्त किए गए विश्वसनीय आंकड़े डाटा केंद्रित और साक्ष्य आधारित नीति निर्माण में अति महत्वपूर्ण मदद करते हैं। इसके आधार पर ही लक्षित और अंतिम व्यक्ति तक सेवा का लाभ पहुंचाने में मदद मिलती है, याने हम कह सकते हैं कि आंकड़ों का गेम विकास की सीढ़ी का एक मज़बूत आधार स्तंभ है।...साथियों बात अगर हम आंकड़ों याने नंबर गेम को डाटा शब्दावली कहने की करें तो की करें तो, डाटा का अर्थ- संदर्भ या विश्लेषण के लिए एकत्रित तथ्यों और आंकड़े से है। कच्चे या अनॉर्गनाइज्ड रूप में इनफॉर्मेशन (जैसे अल्फाबेट्स, नंबर्स या सिम्‍बल) जो संदर्भित करते हैं, या प्रतिनिधित्व करते हैं, परिस्थितियों विचारों या ऑब्‍जेक्‍ट को।ब्रह्मांड में असीमित डेटा मौजूद है। डेटा और जानकारी अक्सर एक दूसरे के लिए उपयोग किया जाता है हालांकि डेटा को जब संदर्भ में या बाद में विश्लेषण में देखा जाता है तब वह इनफॉर्मेशन बन जाता है। हालांकि डेटा की अवधारणा आमतौर पर वैज्ञानिक रिसर्च से जुड़ी होती है, लेकिन बिज़नेसेस (जैसे सेल्‍स डेटा, रेवेन्‍यू, प्राफ‍िट, स्टॉक प्राइस), सरकारों (उदाहरण के लिए, अपराध दर, बेरोजगारी दर,) सहित कई संगठनों और संस्थानों द्वारा डेटा एकत्र किया जाता है। साक्षरता दर) और गैर-सरकारी संगठन (उदाहरण के लिए, गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा बेघर लोगों की संख्या का सेंस)। वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित आंकड़े आज हर क्षेत्र को जीवंतता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, क्योंकि किसी भी साक्ष्य आधारित नीति निर्माण में इन नंबर गेम का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है क्योंकि इन उपलब्ध आंकड़े (डाटा) के आधार पर ही भविष्य की नीति, सामाजिक, राजनीतिक आरक्षण,अर्थव्यवस्था का आधारभूत रणनीतिक रोडमैप से लेकर हर क्षेत्र की हर रणनीति का आधारभूत स्तंभ उपलब्ध साक्ष्य आधारित आंकड़े ही होते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण कारगर सिद्ध होते हैं।...साथियों बात अगर हम अर्थव्यवस्था की करें तो एक अनिश्चित,अस्थिर दुनिया में आगे बढ़ते समय रियल टाइम संकेतकों का उपयोग करतेहुए अर्थव्यवस्था में गमन मार्ग को सततःनिगरानी की आवश्यकता होती है इस प्रक्रिया में आंकड़े या डाटा की भूमिका नदी में पड़े उन पत्थरों के समान होती है जो नदी पार करने में मनीषियों का मार्गदर्शन करते हैं।...साथियों बात अगर हम राजनीतिक क्षेत्र की करें तो हमने कई बार शब्द सुने होंगेकि सरकारें बनना, गिरना सब नंबरबाजी का गेम है, जिसने जिसके पास नंबर है सरकार उसकी!!!...साथियों हम ने हाल ही में कुछ राज्यों की सरकारें गिरते और बनते देखी है। लोकसभा राज्यसभा में भी नंबर गेम का नतीजा हमने देखे कि कैसे कुछ विधेयक पास हुए तो कुछ फ़ेंल!!!...साथियों बात अगर हम संसद में पास होने वाले सभी कानूनों की करें तो इसमें भी नंबरगेम का खेल दो तरह से होता है। पहला,जब विधेयक तैयार होते हैं तो सरकार द्वारा क़रीब 30 दिनों के लिए जनता के सुझाव,आक्षेप के लिए गजट में अधिसूचना जारी की जाती है। इसमें लोगों से सुझाव,आपत्ति दर्ज होती है जो आंकड़ों का खेल है!! उसके विरोध में अत्यधिक आपत्तियां या सुझाव आएंगे तो उस कानून रूपी विधेयक को संशोधन या रद्द करना होता है परंतु सभ से दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत एक ग्रामीण गांव और श्रम प्रधान देश है बहुत ही कम लोगों को पता चलता है कि किस राज्य या केंद्रीय बजट में क्या प्रकाशित हुआ है इसलिए वे अपनी अपनी आपत्ति दर्ज नहीं करा पाते और वह विधेयक बनकर विधानसभाओं लोकसभा में नंबरगेम के आधार पर पास या फ़ेल होता है। साथियों अभी रीसेंट विषयों की भारत में जो तात्कालिक चर्चा है उसमें भी नंबरगेम का ही ख़ेल है। जैसे ओबीसी आरक्षण, केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस जाति के इतने मंत्री, जनगणना में जातिगत आंकड़ा या फिर हमें बीते वर्ष में आर्टिकल 370, 35 ए, नागरिकता अधिनियम, तीन तलाक अधिनियम, गौरक्षण अधिनियम, राममंदिर संविधान पीठ का आदेश इत्यादि अनेक मामलों में आंकड़ों का महत्व पूर्ण निर्णायक स्थान रहा है। वैसे बता दें कि न्याय प्रणाली में संविधान या अन्य पीठ में निर्णायक फैसला बेंच के अधिकतम माननीय न्यायमूर्ति के द्वारा पक्ष-विपक्ष में फैसला सुनाने के नंबरों पर निर्णय होता है।...साथियों बात अगर हम आंकड़ों की बाज़ीगरी में रेटिंग एजेंसियों की बात करें तो इसमें भी बुनियाद,आंकड़ों पर ही टिकी होती है। आज हर क्षेत्र जैसे चुनाव, राजनीति, अपराध, रोज़गार, महंगाई, मौतें इत्यादि अनेक क्षेत्रों में एजेंसियां जनमत संग्रह कर आंकड़ों के आधार पर अपने माध्यम को प्रदर्शित कर रह है।... साथियों कुछ वर्षों से हम देखें तो चुनावी रुझान और निर्णायक रिजल्ट में इन एजेंसियों के आंकड़े महत्वपूर्ण और सही सिद्ध हुए हैं!!! सभी क्षेत्रों का अध्ययन करें तो हम पाएंगे कि दुनिया आंकड़ों के मायाजाल पर टिकी है। साथियों बात अगर हम वर्तमान डाटा शब्द की करें तो आज़कल हम देखते हैं कि डाटा का उपयोग बढ़ते चला है। यह भी हिंदी शब्द आंकड़े की मूल संस्कृति पर ही आधारित है आज़ डाटा शब्द का उपयोग बहुत हो रहा है चाहे वह डाटा लीक मामला हो, फेसबुक, व्हाट्सएप, टि्वटर डाटा चोरी मामला, वैक्सीनेशन का डाटा 85 करोड़ के पार पहुंचा वाली खबर, जीडीपी, बेरोजगारी डाटा इत्यादि। अब आंकड़े की जगह डाटा बोलने का प्रचलन बढ़ गया है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे के किसी भी साक्ष्य आधारित नीति निर्माण हेतु वैज्ञानिक तरीके से एकत्रित आंकड़े (डाटा) उस रोडमैप का आधारभूत स्तंभ होता है। जनता का प्रभाव इसमें महत्वपूर्ण हो जाता है सरकार द्वारा किसी भी क्षेत्र में जनमत सर्वेक्षण, गजट अधिसूचना में विधेयकों पर जनता की राय सुझाव सहित सभी आंकड़े दर्ज कराना जनता का महत्वपूर्ण कर्तव्य है क्योंकि यह नीति निर्धारण में सहायक होता है। 

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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