नया सबेरा नेटवर्क
नहीं धड़कता देश दिलों में,
रक्त नहीं वो पानी है।
देना है पैगाम उन्हें,
जिसके पास जवानी है।
प्रलय मचाते जो सरहद पर,
सच्ची वही कुर्बानी है।
दुश्मन की छाती जो चीरे,
उसका कोई न सानी है।
आन-बान पर जो मिट जाते,
उनकी अमिट कहानी है।
वैरी से ना झुकना जाने,
वो सच्चा हिंदुस्तानी है।
अंगार अधर पर रखकर खेले,
मौत भी उसकी दीवानी है।
मिट्टी में दुश्मन को मिला दे,
जीवित वही जवानी है।
वीरांगनाओं से वैरी काँपे,
वो झाँसी की रानी है।
नर- मुंडों की माला पहने,
समझो वो भवानी है।
लालच जो पैरों से कुचले,
समझो वो अभिमानी है।
गद्दारी जो देश से करते,
मुझको बड़ी हैरानी है।
बदल दिए भूगोल धरा का,
सन इकहत्तर की कहानी है।
क्या बूढ़े, क्या बच्चे सबको
ये तो याद जुबानी है।
लेता नहीं मूल्य त्याग का,
उसका न कोई सानी है।
गिरे हुए को जो भी उठाता,
बाजू में उसके जवानी है।
खून से लथपथ संपत्ति लूटे,
ये तो बड़ी नादानी है।
कितने जीवन व्यर्थ गँवाते,
बेमतलब की जवानी है।
अमीर-फ़क़ीर की दीवार गिरा दे,
वो तो आसमानी है।
पल-पल कुदरत रंग बदलती,
दुनिया तो ये फानी है।
महामानव बनकर जो बरसे,
अहिंसा का वो पानी है।
सपने में भी दान किए,
ऐसे भी यहाँ दानी हैं।
राजगुरु,सुखदेव,भगत की,
ये मिट्टी बलिदानी है।
आजादी के दीवानों की,
हर जगह अमिट निशानी है।
मत भूलो इन बातों को,
यह बात भले पुरानी है।
मिटा नहीं जो देश की खातिर,
समझो व्यर्थ जवानी है।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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