नया सबेरा नेटवर्क
कविता
घर की जान होती है बेटियां
घर की जान होती है बेटियां
पिता की आन बान शान होती है बेटियां
बेटों से कम नहीं होती है बेटियां
पिता का गुमान होती है बेटियां
मां बहू भाभी पत्नी बनकर,
सेवा करती है बेटियां
खुद अपमान सह,
दूसरों को मान देती है बेटियां
कमियों को भुला जो मिले,
उसमें खुश रहती है बेटियां
हर हाल में खुश हो,
मुस्कुराती रहती है बेटियां
खुद की पहचान मिटा दूसरों की
पहचान अपनाती है बेटियां
बहू बन सास ससुर की,
सेवा करती है बेटियां
सुनो जग वालों ,धन मन हृदय
सब कुछ है बेटियां
लक्ष्मी सरस्वती पार्वती,
का रूप है बेटियां
घर की जान होती है बेटियां
पिता की आन बान शान होती है बेटियां
बेटों से कम नहीं होती है बेटियां
पिता का गुमान होती है बेटियां
-कर विशेषज्ञ साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एड किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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