रात भर जाग कर की थी पढ़ाई
सरकार ने सबकी नैया डुबाई,
कैसे लालची थे पैसे के भूखों
ऐसे करते लाज नहीं आई।
पेपर के लिए लोगो ने कितना खर्च किया
किसी ने मेहनत की तो किसी ने कर्ज लिया
तुम्हारी जरा सी गलती ने कितनों
का भविष्य
अंधेरे कुएं में झोंक दिया ।
पेपर का रद्द होना मानो अनेक
आंखों में आंसू दे गया,
बड़ी उम्मीदें थीं इससे पर असावधानी के साथ ये दगा दे गया
बड़ी मुश्किल से तो ये दिन आए
आकर भी ये दिन बेकार साबित कर गया।
पेपर देखते ही जिन आंखों में चमक आई थी
रद्द होते ही उनकी आंखों में नमी आई थी
और कहने को तो एक एग्जाम रद्द हुआ है
उनसे दर्द पूछो जो एक मां पेट में बच्चे के साथ आई थी ।
सरकार की नाकामी ने सबको निराश किया
एक बार तो लोगों ने विश्वास नही किया
पर जब सच्चाई सामने आई तो
लाखों चेहरे के रंग को लाल कर दिया।
–रितेश मौर्य
एम. ए. फाइनल, राज कॉलेज
मो. नं 8576091113
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