नया सबेरा नेटवर्क
कवयित्री भारती संजीव की पुस्तक ‘उसका सूरज’ का लोकार्पण संपन्न
मुंबई । ‘भावों से नहीं कर्म से रचना को जोड़ें तभी राष्ट्र बचेगा । साहित्य व्यक्ति को मनुष्य बनाता है, जो समाज, संस्कृति, राष्ट्र को भी जोड़ता है लेकिन पुस्तक संस्कृति के बदले गूगल संस्कृति पनप रही है, इससे बचना चाहिए ।’ ये विचार प्रसिद्ध साहित्यकार, ‘अनभै’ के संपादक डॉ. रतनकुमार पाण्डेय ने भारती संजीव के काव्य संग्रह ‘उसका सूरज’ के लोकार्पण पर अध्यक्षीय संबोधन में कहे ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में ‘हिंदी आंदोलन परिवार’ के प्रणेता, कवि संजय भारद्वाज ने कहा कि कविता देखा-भोगा संचित अनुभव है । भारती की रचनाऍं स्त्री संवेदना की रचनाऍं हैं, वे आधी दुनिया की नहीं, ब्रम्हाण्ड की रचनाऍं हैं । ‘शोधावरी’ संस्था के सौजन्य से ऑन लाइन संपन्न कार्यक्रम में वरिष्ठ कवयित्री चित्रा देसाई ने कहा कि भारती की रचनाऍं अपनेपन का एहसास कराती है । जो कवि दूसरों की पीड़ा समझेंगे, वे ही विश्व की पीड़ा समझेंगे । ‘हिंदुस्तानी प्रचार सभा’ के निदेशक वरिष्ठ लेखक संजीव निगम की राय थी कि भारती की रचनाऍं सहजता, सरलता के कारण गहरे उतरती हैं व अच्छा प्रभाव छोड़ती हैं । स्वामी राम शंकर ने कहा कि बेटियों की प्रतिभा को उदारता से स्वीकार करना चाहिए । आत्मकथ्य में भारती संजीव ने कहा कि जो लिखा, वो संजोया नहीं क्योंकि छपास की प्यास नहीं थी। मित्रों ने झिझक दूर की जो इस पुस्तक के रूप में मेरी संवेदनाओं का आईना बनी। उन्होंने चंद रचनाओं का पाठ भी किया । कार्यक्रम संचालन व्यंग्यकार डॉ. अनंत श्रीमाली ने और आभार पूर्णिमा पांडेय ने माना ।आर.के. पब्लिकेशंस से प्रकाशित पुस्तक के समारोह में प्रकाशक श्री रामकुमार , 'शोधावरी ' पत्रिका के संपादक डॉ. हूबनाथ पांडेय, अभिनेत्री पूजा दीक्षित, चिंतन दिशा के संपादक हृदयेश मयंक, अवधेश राय, संजीव श्रीवास्तव, सुमन सारस्वत, योगेंद्र खत्री, कृष्ण कुमार मिश्रा, पवन तिवारी, जनहित पत्रिका के पत्रकार मुन्ना यादव ' मयंक' , कवि लाल बहादुर चौरसिया, जितेंद्र पांडेय, संगीता दुबे, प्रमिला शर्मा, इंद्रसेन सिंह, अनुपमा तिवारी, डॉ. बालाजी गायकवाड़ आदि साहित्यकार, कवि, लेखक जुड़े थे ।
भारती संजीव श्रीवास्तव 9029015345
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