नया सबेरा नेटवर्क
राम को वो राम बनाई कैकेयी ने,
राम को पुरुषोत्तम बनाई कैकेयी ने।
जंगल भेजा राम को कैकेयी ने ही,
शोणित - जल से नहलाई कैकेयी ने।
तोहमतों का अंबार है कैकेयी पर,
अमृत बनाई विष को उस कैकेयी ने।
बड़ा है उपकार राम पर कैकेयी का,
राम की दुनिया सजाई कैकेयी ने।
बाधाओं से डरो न ऐ ! दुनियावालों,
समस्याओं का हल निकाली कैकेयी ने।
जलेंगे तेरी राहों में भी घी के दीये,
ऐसा गुरुमंत्र दिया हमें कैकेयी ने।
जलने लगे जब शांति,क्रूर दमन की भट्ठी में,
जला दो रावण, राह दिखाई कैकेयी ने।
देश निकाला मत कहना अब कैकेयी को,
अरुणोदय का मार्ग प्रशस्त की कैकेयी ने।
दानव जहाँ कहीं थे रक्त के प्यासे इतने,
राम- बाण से प्यास बुझाई कैकेयी ने।
क्षत्राणी थी, वो रानी थी, कल्याणी थी,
रुद्राणी की रूप धरी थी कैकेयी ने।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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