नया सबेरा नेटवर्क
केराकत, जौनपुर। शिराजे हिन्द जौनपुर की धरती का ऐतिहासिक इतिहास समृद्धशाली और गौरवपूर्ण रहा है। यहां की मिट्टी में ऐसे अनगिनत कर्मयोगी और शूरमाओं ने जन्म लिया जिन्होंने शिक्षा का दीप प्रज्वलित कर उत्तम शिक्षा के नए आयाम स्थापित किए और स्वाधीनता आंदोलन में क्रांति की मशाल जलाकर देश को गौरवान्वित किया। वहीं आज की तारीख की अगर बात करें तो कई शहीद स्तम्भ जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो चुका है या तो कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुका है, ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। केराकत तहसील क्षेत्र के विकास खण्ड के मुफ्तीगंज बाजार में स्थिति गांधी चौतरा के पास बने शहीद स्तम्भ कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुका है। कूड़े से निकलने वाली दुर्गंध से प्रबल बीमारियों का खतरा भी स्थानीय लोगों को सता रहा है। ऐसे में स्थानीय लोगों ने प्रशासन से कूड़ा हटवाने को लेकर गुहार भी लगा चुके हैं जबकि शहीद स्तम्भ केराकत-जौनपुर मार्ग पर स्थित होने से जनप्रतिनिधि, जिलाधिकारी, वीडियो सहित अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों का आवागमन होता रहता है किंतु आज तक किसी भी अधिकारी व जनप्रतिनिधि का ध्यान कूड़े में तब्दील हुये शहीद स्तम्भ पर आकर्षित नहीं हुआ। जिन क्रांतिकारियों ने देश के लिए खुद को समर्पित किया, आज उनके बलिदान को कूड़े में तब्दील होकर अपमानित होना पड़ रहा है।
ऐतिहासिक धरोहर को संजोकर रखने का उत्तरदायित्व आखिर किसका है?
शहीद स्तम्भ की स्थिति को देखकर मन-मस्तिष्क में एक ही प्रश्न बार-बार कौंधता है कि देश के लिए शहीद होने वाले वीर सपूतों को आजाद देश द्वारा इसी तरह का सम्मान और स्थान मिलता है? यह संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए बेहद शर्मनाक है। स्थानीय प्रशासन को यह सोचना चाहिए कि ऐतिहासिक धरोहर को संजोकर रखने का उत्तरदायित्व आखिर किसका है? कहां गयी देश की बड़ी-बड़ी राजनैतिक पार्टियां जो अपने मुखिया के एक इशारे पर सड़क से लेकर संसद चल विरोध प्रदर्शन करते हैं। क्या उनकी यह नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती कि जो देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी। उनकी शहादत के उचित सम्मान के लिए सत्ता के शिखर पर बैठे लोगों को इस सम्बंध से अवगत करायें, ताकि शहीदों को उचित सम्मान मिल सके। आज न जाने कितने केराकत तहसील क्षेत्र में शहीद परिवार हैं जो अपने शहीद बेटे के उचित सम्मान के लिए सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं। वहीं केराकत के नार्मल मैदान में स्थित शहीद स्तम्भ को देखकर दिल सिहर हो उठता है, यह सोचनीय विषय है।
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