जौनपुर। जनपद में प्राइवेट विद्यालय कॉन्वेंट पैटर्न के नाम पर अभिभावकों को जमकर लूट रहे हैं। कक्षा 8 की फीस मासिक 2200 से लेकर 3500 तक वसूली जा रही है। यदि छात्र विद्यालय से 3 किलोमीटर की भी दूरी पर रहता है तो उसे ट्रांसपोर्ट के नाम पर 1000 का शुल्क लिया जा रहा है। किसी प्रकार की कोई सुनवाई मैनेजमेंट नहीं करता है। शासन—प्रशासन भी आंख मूंद करके बैठा रहता है। सूत्रों के अनुसार अधिकतर विद्यालय बड़े-बड़े व्यापारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं या राजनेताओं के हैं जिन पर किसी का जोर नहीं चलता है। चाहे वह शासन हो या प्रशासन। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि भारत में शिक्षा का मुफ़्त होना बहुत ही अनिवार्य है तभी हम दुनिया के देशों की अग्रणी श्रेणी में आएंगे लेकिन एक अच्छी सरकार सूझ—बूझ वाली एवं समझदार और समाज का हित सोचने वाली सरकार होने के बावजूद इस तरह की प्राइवेट संस्थाएं शिक्षा के नाम पर मध्यम वर्ग का जिस तरह से शोषण कर रहे हैं, यह बहुत दुखद है। सरकार को इसकी सुधि लेनी चाहिए। साथ ही प्रशासन को आदेशित करना चाहिए कि ऐसे विद्यालयों की जांच हो और फीस का एक सिस्टम बनाया जाय जो प्ले ग्रुप से लेकर कक्षा 12 तक हर विद्यालय में एक समान लागू हो। शिक्षा की गुणवत्ता के नाम पर यह प्राइवेट विद्यालय अनेकों कार्यक्रम करवाकर तमाम प्रोजेक्ट बनवाकर विभिन्न रूपों से अभिभावकों का शोषण करते रहते हैं। साथ ही बच्चों को किताबों का इतना बोझ दे देते हैं कि छोटी उम्र में ही बच्चे सर्वाइकल और आंखों के मरीज हो जाते हैं। उपरोक्त विषय ध्यान देने योग्य है। कृपया शासन—प्रशासन इस पर ध्यान दे एवं शिक्षा की गुणवत्ता बिना शोषण के सुनिश्चित करे।
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