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#JaunpurLive : योगीराज में सुरेरी थाना पुलिस ने तो हद ही कर डाला ....



राजा को पता ही नहीं और मुसहरों ने वन बांट लिया
सप्ताह बीत जाने पर भी दबंगों पर नहीं हुई कार्यवाही
जौनपुर। जनपद के सुरेरी थाना अंतर्गत कोचारी गांव के लोहार जाति के घर में घुसकर दबंगों ने बवाल काटा। घर के सभी सदस्यों को लाठी, डंडे और धारदार हथियार से वार करके घायल कर दिया। हमले में घायल धर्मेंद्र विश्वकर्मा का सर फटने से उसकी हालत खराब देख इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रामपुर भेजा गया जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने घायल को सिटी स्कैन करने हेतु जिला अस्पताल रेफर कर दिया। घायल धर्मेंद्र 3-4 दिन तक इधर-उधर इलाज के लिए भटकता रहा किंतु पुलिस मौके पर जाकर सिटी स्कैन करने में असक्षम रही। पुलिस चौकी/थाना सुरेरी के मिलीभगत से पीड़ित घायल के पर्चे को दबा दिया गया। वाराणसी के निजी अस्पताल में जाकर पीड़ित में अपना इलाज कराया। इन सबके पीछे आखिर पुलिस और हमलावरकर्ता की मंशा क्या हो सकती है?


सूत्रों की मानें तो चौकी प्रभारी सहित आरक्षी एवं आरोपियों के बीच कौन सी खिचड़ी पकाई जा रही है, उससे थाना प्रभारी अनभिज्ञ हैं। चौकी प्रभारी ने घायल पीड़ितो में से एक का ही मेडिकल मुआयना क्यों कराया जबकि परिवार के अन्य कई परिजन घायल तथा चोटिल थे? मारपीट के पश्चात थाने के जिम्मदारों ने चुटहिलों के घर जाकर पूछताछ क्यों नहीं किया? प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर से रेफर होने पर मेडिकल कराने सुरेरी थाने से गार्ड या पुलिस क्यों नहीं गई, क्या बड़ी घटना की प्रतीक्षा में थी सुरेरी पुलिस?


इन्हीं सब सवालों को लेकर थाना प्रभारी प्रियंका सिंह से समाचार पत्र की टीम ने मुलाकात की। बातचीत में उन्होंने बताया कि ग्राम कोचारी निवासी सुरेश विश्वकर्मा पुत्र जवाहर लाल विश्वकर्मा और पंकज उपाध्याय व उनके अन्य परिजन के बीच में हुई मारपीट में सूरज विश्वकर्मा द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र पर चौकी प्रभारी को जांच कर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने के लिए कहा गया। सवाल उठता है कि चौकी प्रभारी ने कैसी और कौन सी जांच किया कि सिर्फ एक घायल का ही मेडिकल कराया गया तथा जिला अस्पताल रेफर होने के वावजूद चोटहिल को अविलंब जिला अस्पताल क्यों नहीं भेजा गया? जानकारी लेने पर थाना प्रभारी ने बताया कि कोरम पूरा किया गया है परन्तु जब उन्होंने अपने अधिनस्थों से पूछा की कोई गार्ड क्यों नहीं भेजा गया तो पता चला कि सुरेरी थाने पर कोई भी गार्ड या सिपाही नहीं थे। सभी छुट्टी या फिर चुनाव ड्यूटी में लगा दिए गए।
पीड़ित की सारी बात सुनने के पश्चात थाना प्रभारी ने जब हेड कांस्टेबल से पूछा तो उन्होंने घटनाक्रम को बताने में लीपा-पोती करना शुरू कर दिया। इससे स्पष्ट होता है कि थाना प्रभारी के नाक के नीचे से जो खेल खेला गया, उससे वह पूर्ण रूप से अनिभिज्ञ रही। बताते चलें कि पीड़ित सपरिवार अपने खेत से गेंहू की मड़ाई करके अनाज अपने घर ले जा रहे थे। समय लगभग रात के 8 बजे गांव के दबंग किस्म के कई लोग रास्ते में ही पीड़ित को रोक करके किसी बात पर बाता-कही कर मारने पीटने लगे। स्थानीय लोगों के बीच बचाव किया और सभी अपने घर आ गए परन्तु कुछ देर बाद उक्त आरोपी परिवार पुनः लाठी-डंडे से लैस होकर सूरज विश्वकर्मा के घर पहुंचे और जो भी सामने मिला, मारना शुरू कर दिए। महिलाओं व छोटे बच्चों को भी नहीं छोड़ा तथा जाते समय जान से मार देने की धमकी दिये। इसी बाबत पीड़ित परिजनों की तरफ से सुरेश विश्वकर्मा द्वारा थाना प्रभारी को प्रार्थना पत्र देकर आवश्यक कार्यवाही करते हुए न्याय की गुहार की। गंभीर रूप से चुटहिल धर्मेंद्र विश्वकर्मा का सर फट जाने के कारण बहुत खून बह रहा था। मात्र उन्हीं का इलाज करके जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। पीड़ित पक्ष के अन्य परिजनों को वापस लौटा दिया गया जबकि सभी का इलाज एवं मेडिकल मुआयना करना आवश्यक था। उल्टे ही उन्हें निजी डॉक्टर को दिखाने कि सलाह दे दिया।
सरकार द्वारा पीड़ित को जांच हेतु ले जाने के लिए निःशुल्क एंबुलेंस सेवा दी गई है। छोटे छोटे बच्चों सहित घर भर के लोगों को लाठी, डंडे, धारदार हथियार से मारा पीटा गया था तो सभी का मेडिकल क्यों नहीं कराया गया? क्षेत्रीय लोगों की मानें तो विवेचक हल्का चौकी प्रभारी के पास आरोपीगण आये दिन बैठे दिखाई देते हैं। यदि प्रकरण को ठीक तरीके से संज्ञान में नहीं लिया गया तो भविष्य में बड़ी घटना घटित हो सकती है। बताते चलें कि पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक डॉ अजय पाल शर्मा को दूरभाष पर आपबीती सूचना देना चाहा तो महोदय के जनसंपर्क अधिकारी ने फोन पर आश्वासन दिया कि आपको पुलिस से पूरी मदद मिलेगी परन्तु समाचार लिखे जाने तक किसी प्रकार का सहयोग पीड़ित को नहीं मिला है। सांत्वना के नाम पर एनसीआर दर्ज कर अब विवेचना की घुट्टी पिलाई जा रही है। मेडिकल के लिए जहां पुलिस और गार्ड के जवान साथ जाते है, वहीं पीड़ित को अकेले सिटी स्कैन कराने भेजा जाता है। देखने की बात तो यह है कि कागजात भी पूरे नहीं दिए जाते जिससे पीड़ित परेशान हो और पैरवी करना छोड़ दे। इससे स्पष्ट होता है कि सुरेरी पुलिस आरोपियों का हौसला अफजाई करने में जुटी है। क्या पुलिस द्वारा पीड़ित को न्याय मिल सकेगा अथवा नहीं? इन सभी सवालों पर थाना प्रभारी प्रियंका सिंह ने उसके पश्चात सुरेरी चौकी प्रभारी से दूरभाष पर वार्ता कर अन्य पीड़ित चोटिल परिजन का मेडिकल और सही मायने में रिपोर्टिंग करने के लिए निर्देशित किया है। क्या थाना प्रभारी के आदेशों का पालन होगा? क्या पीड़ितों को न्याय मिला सकेगा?

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