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#JaunpurLive : अटाला माता मन्दिर मामले में क्षेत्राधिकार व पोषणीयता पर हुई बहस, अब निगाह 28 मई पर टिकी

पुरातत्व विभाग के अभिलेखों में अटाला मस्जिद एवं राजस्व अभिलेखों में जामा मस्जिद नाम है दर्ज
जौनपुर। सिविल जज सीनियर डिवीजन में दाखिल वाद के क्षेत्राधिकार व पोषणीयता पर बुधवार को न्यायालय में सुनवाई हुई। केस के क्षेत्राधिकार व पोषणीयता पर बहस अधिवक्ता अनिल सिंह व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह संयुक्त रूप से की। वाद के क्षेत्राधिकार व पोषणीयता के बिंदु पर आदेश के लिए कोर्ट ने 28 मई तिथि नियत किया है। बताया कि वाद सम्पत्ति अटाला माता मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक है जिस कारण केस पर पूजा स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991 लागू नहीं होता है। विपक्षी संख्या 1 सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वक्फ एक्ट 1995 की धारा 4 के अधीन आज तक वाद संपत्ति का सर्वे नहीं किया है जिस कारण वाद संपत्ति पर वक्फ एक्ट 1995 लागू नहीं होता है। राजस्व अभिलेखों में वर्तमान में वाद संपत्ति अटाला माता मंदिर की मालिक केंद्र सरकार है। वाद संपत्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अभिलेखों में अटाला मस्जिद नाम से दर्ज है जबकि राजस्व अभिलेखों में जामा मस्जिद नाम से दर्ज है। विपक्षी संख्या 1 सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और विपक्षी संख्या 2  प्रबंधन कमेटी अटाला मस्जिद ने अटाला देवी मंदिर की पहचान मिटाने के लिए राजस्व अभिलेखों में जामा मस्जिद दर्ज करवा लिया जबकि जामा मस्जिद अचल संपत्ति है जिसे स्थानीय लोग बड़ी मस्जिद भी कहते है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की अनेक रिपोर्ट्स में यह लिखा है कि वाद संपत्ति अटाला माता मंदिर के स्थान पर अटाला मस्जिद बनाई गई और अटाला देवी मंदिर के भवन के पत्थरों से अटाला मस्जिद का निर्माण किया गया। अटाला मस्जिद में अटाला शब्द एक हिन्दू शब्द है जिसका इस्लाम से कोई लेना—देना नहीं है।

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