बलुआघाट में आयोजित हुई मजलिस में शामिल हुए अज़ादार
जौनपुर। कर्बला में जो कुर्बानी इमाम हुसैन ने दी आज उसी की वजह से इस्लाम दुनिया में बाकी है, क्योंकि इस जंग में एक तरफ दुश्मने मोहम्मद थे और दूसरी तरफ उनका नवासा। दुश्मन सब खत्म हो गये आज उनका कोई नाम लेने वाला नहीं है जबकि मोहम्मद और उनकी आल का नाम आज भी बाकी है जिसका वादा अल्लाह ने कुरआन में किया है। उक्त बातें कनाडा से मौलाना सैयद इमाम हैदर ज़ैदी ने नगर के बलुआघाट स्थित मेंहदी वाली जमीन पर आयोजित मरहूमा हसन बांदी व मरहूम सैयद इकबाल कमर शहज़ादे की मजलिसे तरहीम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने मोहम्मद से वादा किया था कि तुम्हारे सभी दुश्मन खत्म कर दिये जाएंगे उनका नाम लेने वाला कोई नहीं रहेगा और इमाम हुसैन अ.स. की कुर्बानी के बाद ऐसा ही हुआ और यह कुर्बानी सिर्फ फातमा के घर वालों ने दी है। उन्होंने कहा कि यह घर अल्लाह के कितना करीब है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अल्लाह ने अपने सभी सिफात को इसी घर से मंसूब किया और महमूदियत की पहचान मोहम्मद, आला की पहचान अली, फातिर होने की पहचान फातमा, मोहसिन होने की पहचान हसन और एहसान करने का सिफात हुसैन को अता किया। अल्लाह फातिर है उसने संसार को बनाया, लेकिन जिसके सदके में बनाया वो मोहम्मद की बेटी फातमा है। ज़मीन से लेकर आसमान तक जो कुछ भी बनाया है। सब कुछ जनाबे फातमा के सदके में ही बनाया है और इसका सबूत हदीसे किसा में मोहम्मद से लेकर हुसैन तक की पहचान जनाबे फातमा के जरिए करवाकर सबूत भी दे दिया। उन्होंने कहा कि इस्लाम सलामती, अदल और इंसाफ तथा दयानतदारी का मजहब है। उन्होंने कहा कि हदीसे रसूल है कि जिसने फातमा को राजी किया उसने मोहम्मद को राजी किया और जिसने मोहम्मद को राजी किया उससे अल्लाह राज़ी हुआ। यही वजह है कि अल्लहा ने इस घराने के हाथ में इतनी ताकत दे रखी है कि ये जो भी कह दें वो फौरन हो जाता है लेकिन ज़माने के लोगों ने इस घराने की अज़मत को नहीं समझा और निरंतर इस घराने पर जुल्म भी किया गया। कर्बला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत मेंहदी जैदी व उनके हमनवां की सोजख्वानी से हुई जिसके बाद शोहरत जौनपुरी, वसी करंजवी, शहंशाह व हेलाल जौनपुरी ने बारगाहे अहलेबैत में अपने कलाम पेश किये। अंजुमन शमशीरे हैदरी के नौहेखा शहज़ादे सदर इमामबाड़ा ने दर्द भरे नौहा पेश किया। इस मौके पर इमाम ए जुमा मौलाना महफ़ुज़ूल हसन खां, मौलाना मनाज़िर हसनैन खान, मौलाना फ़ज़ले मुमताज़ खां, मौलाना मेराज खान, मौलाना अली अब्बास, मौलाना शेख हसन जाफर, मौलाना मुबाशिर, डॉ. कमर अब्बास, नजमुल हसन नजमी, वकार हुसैन, ज्ञान कुमार, कैलाशनाथ सिंह, राजेश श्रीवास्तव, शाहिद मेंहदी, नेहाल हैदर, मोहम्मद रशीद सहित अन्य लोग मौजूद थे। संचालन बेलाल हसनैन ने किया। आयोजक सै. हसनैन कमर 'दीपू', सै. अफ़रोज़ क़मर, डॉ. रज़ा बेग कब्बन ने आये हुए लोगों का आभार व्यक्त किया।
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