नवी मुम्बई। प्रवचनकार देवकी नंदन महाराज ने कहा कि हमारे बयान पर कुछ पार्टियों के लोगों ने टिप्पणी की है। हमने कहा था कि कुंभ में उन्हीं लोगों को जाना चाहिए जो राम को मानते हों। हम उनसे कहना चाहते हैं कि कभी एक हिंदू के नाते सोंचकर देखें, क्या आप तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में हुई मिलावट से अंजान हैं? क्या आप इस बात से भी अंजान हैं कि कई लोग हमारी सब्जियों, फलों में थूका जा रहा है। देवकीनन्दन महाराज नवी मुम्बई के खारघर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान उक्त बात कही।
उन्होंने कहा कि कुंभ कोई मेला नहीं है, यह सनातनियों की परंपराओं से जुड़ा हुआ एक वैदिक उत्सव है और इस कुंभ की धार्मिकता, पवित्रता और सुरक्षा बनी रहे उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। ये हमारा कर्तव्य है कि हम इस वैदिक उत्सव की पवित्रता को संजो कर रखें।
अगर शास्त्रों को मानते हो तो शास्त्रों की भी मानो। देवी-देवताओं को पूजने वाला देवी-देवताओं के लोक में जाता है और भूत-प्रेत को पूजने वाला भूत बनकर ही धरती में जन्म लेता है। इसलिए, हमें अपने पूजा-पाठ, आस्थाओं और कर्मों को शास्त्रों के अनुसार ही करनी चाहिए। यही कारण है कि शास्त्रों में जीवन के हर पहलू पर स्पष्ट मार्गदर्शन दिया गया है।
जो हमें कृष्ण नहीं दे सकता, वो हमें दुनिया में कोई नहीं दे सकता। हम हिंदुओं का पतन इसलिए हुआ क्योंकि हमे जो बताया गया, वो सब मान लिया। हमें अपने इष्ट में सच्ची निष्ठा होनी चाहिए, तभी आप सच्चे भक्त बन सकते हो। हमें हमारे गुरू वचनों पर विश्वास नहीं, हमें हमारे ग्रंथों पर विश्वास नहीं, हमें हमारे धर्म पर विश्वास नहीं।
हर माता-पिता को चाहिए अपने बच्चों को सनातन धर्म के बारे में बताइये। अगर हमारे बच्चे धर्म को नहीं जानेंगे तो कोई भी उनका धर्म परिवर्तन कर सकेगा। हमारे बच्चों को सनातन धर्म के सच्चे अर्थ, इसकी महिमा, और इसके सिद्धांतों से अवगत कराना आवश्यक है, ताकि वे अपनी पहचान, अपनी संस्कृति, और अपने धर्म के प्रति गर्व महसूस करें।
उन्होंने कहा कि कुंभ कोई मेला नहीं है, यह सनातनियों की परंपराओं से जुड़ा हुआ एक वैदिक उत्सव है और इस कुंभ की धार्मिकता, पवित्रता और सुरक्षा बनी रहे उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। ये हमारा कर्तव्य है कि हम इस वैदिक उत्सव की पवित्रता को संजो कर रखें।
अगर शास्त्रों को मानते हो तो शास्त्रों की भी मानो। देवी-देवताओं को पूजने वाला देवी-देवताओं के लोक में जाता है और भूत-प्रेत को पूजने वाला भूत बनकर ही धरती में जन्म लेता है। इसलिए, हमें अपने पूजा-पाठ, आस्थाओं और कर्मों को शास्त्रों के अनुसार ही करनी चाहिए। यही कारण है कि शास्त्रों में जीवन के हर पहलू पर स्पष्ट मार्गदर्शन दिया गया है।
जो हमें कृष्ण नहीं दे सकता, वो हमें दुनिया में कोई नहीं दे सकता। हम हिंदुओं का पतन इसलिए हुआ क्योंकि हमे जो बताया गया, वो सब मान लिया। हमें अपने इष्ट में सच्ची निष्ठा होनी चाहिए, तभी आप सच्चे भक्त बन सकते हो। हमें हमारे गुरू वचनों पर विश्वास नहीं, हमें हमारे ग्रंथों पर विश्वास नहीं, हमें हमारे धर्म पर विश्वास नहीं।
हर माता-पिता को चाहिए अपने बच्चों को सनातन धर्म के बारे में बताइये। अगर हमारे बच्चे धर्म को नहीं जानेंगे तो कोई भी उनका धर्म परिवर्तन कर सकेगा। हमारे बच्चों को सनातन धर्म के सच्चे अर्थ, इसकी महिमा, और इसके सिद्धांतों से अवगत कराना आवश्यक है, ताकि वे अपनी पहचान, अपनी संस्कृति, और अपने धर्म के प्रति गर्व महसूस करें।
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