बौद्धिष्ट सज्जन राम की पत्नी जयमूर्ति देवी का श्रद्धांजलि समारोह
अमित जायसवाल
चन्दवक, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के जरासी गांव में बौद्धिष्ट सज्जन राम की पत्नी जयमूर्ति देवी के श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी व इंटर कॉलेज के प्रबंधक वीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि त्रयोदश संस्कार के नाम पर मृत्यु भोज करना यह संस्कार नहीं, बल्कि सामाजिक बुराई है। मृत्यु भोज को अनिवार्य की श्रेणी में लाया जाना जबकि तिलक सहित अन्य उत्सव के कार्यक्रम को वैकल्पिक स्वरूप प्रदान किया जाना आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के खिलाफ अन्याय करने के समान है। मृत्यु भोज को किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। इसे हर हाल में बंद किया जाना चाहिए। लोगों को इसके लिए जागरूक करने की आवश्यकता है।
श्री सिंह ने आगे कहा कि समाज के लोगों को इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा कि मृत्यु भोज से अपव्यय के साथ साथ ऐसे लोगों को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ता है जो कमजोर है। सामाजिक अनिवार्यता के बोझ तले दबे होने के कारण उन्हें मृत्यु भोज करना पड़ता है। आर्थिक रूप से सक्षम लोग भी इस सामाजिक बुराई का त्याग करके दूसरे रूप में असहायों की मदद कर सकते हैं। बीमारी से ग्रस्त लोगों एवं गरीब प्रतिभावान छात्रों की सहायता की जा सकती है।
कार्यक्रम को डॉ. उमाशंकर सिंह, राम प्रकाश सिंह, देवेंद्र सिंह, श्रीप्रकाश सिंह, त्रिभुवन सिंह ने भी संबोधित किया। श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया कि आज से मृत्यु भोज नहीं खाया जाएगा। संचालन पूर्व प्रमुख जय प्रकाश राम ने किया। इस अवसर पर जय प्रकाश सिंह, ईश्वर चंद्र सिंह, श्यामू राम, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार, राजनाथ, लालचंद राम सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
अमित जायसवाल
चन्दवक, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के जरासी गांव में बौद्धिष्ट सज्जन राम की पत्नी जयमूर्ति देवी के श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी व इंटर कॉलेज के प्रबंधक वीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि त्रयोदश संस्कार के नाम पर मृत्यु भोज करना यह संस्कार नहीं, बल्कि सामाजिक बुराई है। मृत्यु भोज को अनिवार्य की श्रेणी में लाया जाना जबकि तिलक सहित अन्य उत्सव के कार्यक्रम को वैकल्पिक स्वरूप प्रदान किया जाना आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के खिलाफ अन्याय करने के समान है। मृत्यु भोज को किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। इसे हर हाल में बंद किया जाना चाहिए। लोगों को इसके लिए जागरूक करने की आवश्यकता है।
श्री सिंह ने आगे कहा कि समाज के लोगों को इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा कि मृत्यु भोज से अपव्यय के साथ साथ ऐसे लोगों को आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ता है जो कमजोर है। सामाजिक अनिवार्यता के बोझ तले दबे होने के कारण उन्हें मृत्यु भोज करना पड़ता है। आर्थिक रूप से सक्षम लोग भी इस सामाजिक बुराई का त्याग करके दूसरे रूप में असहायों की मदद कर सकते हैं। बीमारी से ग्रस्त लोगों एवं गरीब प्रतिभावान छात्रों की सहायता की जा सकती है।
कार्यक्रम को डॉ. उमाशंकर सिंह, राम प्रकाश सिंह, देवेंद्र सिंह, श्रीप्रकाश सिंह, त्रिभुवन सिंह ने भी संबोधित किया। श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों ने संकल्प लिया कि आज से मृत्यु भोज नहीं खाया जाएगा। संचालन पूर्व प्रमुख जय प्रकाश राम ने किया। इस अवसर पर जय प्रकाश सिंह, ईश्वर चंद्र सिंह, श्यामू राम, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार, राजनाथ, लालचंद राम सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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