विनोद कुमार
केराकत, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के ग्राम भौरा हसनपुर के सम्मानित व लोकप्रिय बुजुर्ग बल्ली बनवासी (92) का शनिवार प्रातः निधन हो गया। वे लंबे समय से ग्रामीण समाज में अपनी सरलता, मृदुभाषिता और सहज व्यवहार के लिए विख्यात थे। बता दें कि पूरे गांव सहित आस-पास के क्षेत्र में उन्हें "बल्ली दादा" के नाम से जाना जाता था। विदित हो कि शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था जहां प्राथमिक उपचार के बाद उनकी हालत में सुधार हुआ और वे घर लौट आये लेकिन शनिवार को सुबह उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई। परिजन उन्हें दोबारा अस्पताल ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गई। परिजन और सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार सिहौली स्थित पैतृक घाट पर संपन्न हुआ। बल्ली बनवासी पंचतत्व में विलीन हो गये जहां हर किसी की आँखें नम थीं। बता दें कि बल्ली बनवासी अपने विनम्र स्वभाव और समाजसेवा के कारण क्षेत्र में अत्यंत सम्मानित थे। गाँव के लोग उन्हें न केवल बुजुर्ग, बल्कि मार्गदर्शक के रूप में भी मानते थे। उनके निधन से ग्रामीणों में गहरा दुःख व्याप्त है। क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्तियों ने शोक संवेदना प्रकट किया।
केराकत, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के ग्राम भौरा हसनपुर के सम्मानित व लोकप्रिय बुजुर्ग बल्ली बनवासी (92) का शनिवार प्रातः निधन हो गया। वे लंबे समय से ग्रामीण समाज में अपनी सरलता, मृदुभाषिता और सहज व्यवहार के लिए विख्यात थे। बता दें कि पूरे गांव सहित आस-पास के क्षेत्र में उन्हें "बल्ली दादा" के नाम से जाना जाता था। विदित हो कि शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था जहां प्राथमिक उपचार के बाद उनकी हालत में सुधार हुआ और वे घर लौट आये लेकिन शनिवार को सुबह उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई। परिजन उन्हें दोबारा अस्पताल ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गई। परिजन और सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार सिहौली स्थित पैतृक घाट पर संपन्न हुआ। बल्ली बनवासी पंचतत्व में विलीन हो गये जहां हर किसी की आँखें नम थीं। बता दें कि बल्ली बनवासी अपने विनम्र स्वभाव और समाजसेवा के कारण क्षेत्र में अत्यंत सम्मानित थे। गाँव के लोग उन्हें न केवल बुजुर्ग, बल्कि मार्गदर्शक के रूप में भी मानते थे। उनके निधन से ग्रामीणों में गहरा दुःख व्याप्त है। क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्तियों ने शोक संवेदना प्रकट किया।
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