जौनपुर। नगर के मायापुर कालोनी में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन सत्संग के छठवें दिन रूक्मिणी विवाह की चर्चा करते हुये कथा वाचक डा. मदन मोहन मिश्र ने बताया कि जीव रुपी पिता जब नारायण रुपी वर का चरण धोता है तो अहंकार समाप्त होता है और ममता रुपी बेटी का हाथ समर्पित करता है तो ममता समर्पित हो जाती है तो विवाह के माध्यम से जीव ब्रम्ह का साक्षात्कार हो जाता है। उक्त बातें दिनेश जायसवाल के रघुकुल निवास मायापुर कालोनी के यहां आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण पर वाराणसी से पधारे मानस कोविद ने व्यासपीठ से कही।
उन्होंने आगे कहा कि हमें सत्कर्म तत्काल करना चाहिये और संघर्ष को कल पर टाल देना चाहिये। गज को जब तक अपने परिवार पर भरोसा किया तब तक भगवान नहीं आये जब गज भगवान में एकनिष्ट होकर पूर्ण समर्पण किया तब भगवान आये। गज ग्राह प्रसंग की चर्चा करते हुये कहा कि भगवान अपने दास की मुक्ति बाद में करते हैं किन्तु दासानु दास की मुक्ति पहले करते हैं। गोपी गीत की चर्चा करते हुए कहा कि गोपियों को अपनी मृत्यु का कष्ट नहीं था, बल्कि मृत्यु का कलंक उनके प्रेमास्पद कन्हैया श्रीकृष्ण को न लगे और धार्मिक कार्य करने के बाद मंगल होता है लेकिन कथा श्रवण मात्र से मंगल प्रदान करती है।उन्होंने कहा कि अवसर में ईश्वर का दर्शन करना ही भक्ति है। विज्ञान हमें गतिशील बनाता है तो आध्यात्म हमें संवेदनशील बनाता है। बड़ों के प्रति समर्पण छोटों का संरक्षण आत्म निरीक्षण करने से ही समाज का सुधार संभव है। उसी का जीवन धन्य है जो अपने प्रत्येक इन्द्रियों से भगवान की सेवा करे। जब हम अपने कर्मों को कर्तृत्वाभिमान और फलाकांक्षा से रहित होकर भगवान के चरणों में चढ़ा देंगे तो भगवान अपने हाथों से हमारे सिर का सारा भार उठा लेते हैं। मंच संचालन डा अखिलेश चन्द्र पाठक ने किया। अन्त में आरती पूजन करके भक्तों में प्रसाद वितरण किया।
Tags
Jaunpur
Jaunpur ki news
Jaunpur latest news
jaunpur news
Jaunpur News in Hindi
Jaunpur news live
Jaunpur news today
Jaunpur news today live
today jaunpur news