जौनपुर। पतंग उड़ाने की खुशी को मौत के जाल में बदल देने वाले प्रतिबंधित चाइनीज/नायलॉन/सिंथेटिक मांझे के खिलाफ जौनपुर में जनजागरण की लहर उठ खड़ी हुई है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के 11 जुलाई 2017 के सख्त आदेश के बावजूद आठ वर्ष बीत जाने पर भी जिले के बाजारों में यह घातक धागा धड़ल्ले से बिक रहा है। नायलॉन, प्लास्टिक, तात वाला, सीसा लेपित या कोई भी गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझा पूर्णतः प्रतिबंधित है। केवल सूती धागा ही सुरक्षित है लेकिन प्रशासन की उदासीनता ने इसे सड़कों पर मौत का हथियार बना दिया है। आये दिन कोई न कोई अनहोनी हो रही है।
हालिया दर्दनाक हादसा किसी को भी झकझोर देगा। 11 दिसंबर 2025 को शास्त्री ब्रिज पर अपनी बेटी को स्कूल छोड़कर लौट रहे 40 वर्षीय निजी स्कूल शिक्षक शसंदीप तिवारी प्रतिबंधित मांझे की चपेट में आए। तेज धार ने उनकी गर्दन काट दी और अत्यधिक रक्तस्राव से मौके पर ही उनकी जान चली गई। यह कोई इकलौती घटना नहीं इस साल जौनपुर और प्रदेश में कई घटनाएं हुईं। इसी मांझे के कारण कईयों को गंभीर चोटें हो चुकी हैं। पक्षी और जानवर भी इस जाल में फंसकर घायल हो रहे हैं।इसी आक्रोश और चिंता से प्रेरित होकर "कीलर मांझा प्रतिबंध अभियान समिति" ने शहर में जोरदार पोस्टर अभियान छेड़ दिया। लाल-पीले रंग के प्रभावशाली पोस्टरों में बड़े अक्षरों में लिखा है। "प्रतिबंधित मांझा- मौत का फंदा", "नायलॉन धागा/प्लास्टिक धागा/सिंथेटिक मांझा पूर्ण प्रतिबंधित"। पोस्टर में घायल गले की भयावह तस्वीरें लोगों को सिहरा रही हैं।
समिति के संयोजक एवं अधिवक्ता अतुल सिंह ने खुद अपने साथियों आशीष शुक्ल, विराज ठाकुर, सुधांशु सिंह, डॉ. अब्बासी, दिव्य प्रकाश सिंह, अंकित यादव सहित अन्य के साथ सड़कों पर उतरकर चौराहों, बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर चिपकाये।
अतुल सिंह ने भावुक अपील करते हुए कहा कि पिछले एक साल से हम जिलाधिकारी को ज्ञापन पर ज्ञापन दे रहे हैं लेकिन प्रशासन की नींद नहीं टूट रही। बाजारों में चाइनीज मांझा और प्रतिबंधित धागा खुलेआम बिक रहा है। शिक्षक संदीप तिवारी जैसे मासूम की मौत ने हमें मजबूर कर दिया कि अब जनता खुद जागे। हम अपील करते हैं। पतंग उड़ानें वाला प्रतिबंधित धागा न बेचें, न खरीदें, न उपयोग करें। केवल सूती धागा अपनाएं और पतंगबाजी की खुशी को सुरक्षित बनायें। उल्लंघन पर 5 साल जेल और 1 लाख जुर्माना हो सकता है।
पोस्टर अभियान के प्रमुख हिस्सा डा. अब्बासी ने कहा कि प्रतिबंधित मांझा न केवल इंसानों की जान ले रहा है, बल्कि निर्दोष पक्षियों और जानवरों के लिए भी क्रूरता है। एक डॉक्टर होने के नाते मैंने कई गंभीर चोटों के मरीज देखे हैं। एनजीटी का आदेश 8 साल पुराना हो चुका है लेकिन प्रशासन सोया हुआ है। हम यह पोस्टर अभियान इसलिए चला रहे हैं, ताकि मकर संक्रांति से पहले कोई और परिवार बिछड़ न जाय। केवल सूती धागा अपनाएं, जीवन बचायें।
उसी क्रम में दिव्य प्रकाश सिंह ने कहा कि जौनपुर के बाजारों में प्रतिबंधित मांझा खुलेआम बिक रहा है जबकि शिक्षक संदीप तिवारी जैसे लोगों की मौत हो चुकी है। प्रशासन की लापरवाही अस्वीकार्य है। हम सड़कों पर पोस्टर चिपका रहे हैं, ताकि हर नागरिक जागे और इस मौत के धागे को नकार दे। युवाओं से अपील है। पतंग उड़ायें लेकिन सुरक्षित सूती मांझे से। अगर प्रतिबंधित धागा देखें तो तुरंत सूचना दें।
इन नम्बरों पर दें सूचना
यदि प्रतिबंधित मांझा भण्डारण, विक्रय और उपयोग कहीं दिखे तो तुरंत इन नंबरों पर सूचना दें 9670669699,9565444444, 8318726612।
समिति ने दी चेतावनी
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र छापेमारी और सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो एनजीटी या उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा। यह अभियान मकर संक्रांति से पहले हर घर तक जागरूकता पहुंचाने का संकल्प है, ताकि पतंग उड़ाने की खुशी मौत न बन जाय।
इनकी रही उपस्थिति
उक्त अवसर पर विकास तिवारी, अतुल सिंह, डॉ अब्बासी, आशीष शुक्ला, दिव्य प्रकाश, सुधांशु सिंह, अंकित यादव, निर्भय, अली नवाज, रकज प्रजापति, लकी विश्वकर्मा आदि उपस्थित रहे।
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