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Article : महिलाएं मानसिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार से प्रताड़ित हो रहीं : डा. गार्गी सिंह

महाविद्यालयों, कार्यालयों, संस्थाओं, सरकारी, गैरसरकारी पदों पर कार्यरत महिलाओं द्वारा अपनी उपस्थिति निर्भीकता से स्वतंत्र स्वयं की इच्छानुसार दर्ज कराने की सक्षमता से नैतिक सामाजिक परिवर्तन सम्भव है।
आज समाज में कार्यरत महिलाएं पुरूषों द्वारा मानसिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार से प्रताड़ित हो रही हैं परन्तु लोक-लाज के डर से अपना विरोध तक दर्ज नहीं कर पातीं। कुछ संस्थाओं में पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक योग्य हैं जिसके कारण पुरूष सहकर्मी कुण्ठित होकर भिन्न-भिन्न तरह से परेशान करते हैं। ऐसी परिस्थिति में महिलाओं को अपने नैसर्गिक गुणों के साथ अपने कार्य को करते रहना चाहिये।
महिलाओं के विशेष सुरक्षित प्रत्येक हथियार का उपयोग कर जीत हासिल करना ही वर्तमान स्थिति के लिये नीतिगत व्यवहार होता है। यह समाज दो (महिला एवं पुरूष) जातियों से मिलकर बना है और समाज को सही गलत देखने का नजरिया हम सभी के पास सुरक्षित होता है। जब हम सही हैं तो हमें समाज क्या कहेगा। स्त्री हूं मैं बदनाम हो जाऊंगी। ऐसी धारणा निरर्थक होती है। युद्ध में लड़ाई को हर कीमत पर जीतना ही चाहिये। आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि स्त्री विरोधी बातें इस समाज के निन्दनीय, अनैतिक, पुरूषों द्वारा ही फैलायी जाती है। जिन बातों का समाज में रहने वाले अन्य लोगों के विचारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि एक समाज ऐसा है जिनके घर में मां, बहन, बेटी होती है।
स्त्रियों को अपनी लड़ाई लड़ने के लिये ईश्वर ने सक्षम बनाया है। हमें सहारे की आवश्यकता पुरूषों से जीतने के लिये बिल्कुल नहीं होनी चाहिये। जिस दिन से इस सत्य को महिलाएं प्रत्यक्ष प्रमाणित करने लगेंगी, उसी दिन से इस देश के महाविद्यालय, कार्यालय, संस्थाएं, गली-मोहल्ले, घर एवं समाज में पुरूषों का महिलाओं के लिये उपयोग किये जाने वाले गन्दे विचार, गन्दी टिप्पणी, अपशब्द पर पूर्णविराम लग जायेगा और महिलाएं स्वतंत्र रूप से सम्मान के साथ निर्भीकता के साथ सामाजिक विकास में भिन्न-भिन्न प्रकार से योगदान दे पाने में सक्षम होंगी।
ईश्वर ने महिलाओं को करुणा, दया, ममता, कार्यकुशलता, अद्भुत आकर्षण शक्ति, न्यायिक प्रवृत्ति, वाकपटुता, सम्मोहन, अद्वितीय सौन्दर्य आदि विशेष गुणों को शक्ति रूप में प्रदान कर इस धरा पर मानव को जन्म, मानव को शिक्षा देना, मानव की मनःस्थिति को खुशनुमा बनाना, मानव को नैतिकता का ज्ञान कराना, मानव जीवन को सफल बनाना जैसे आवश्यक दायित्वों को निभाने के लिये बहुत फुर्सत के साथ स्त्री रूप बनाया है।
आज समाज में जो भी अनैतिक कार्य हो रहे हैं, वह महिलाओं द्वारा अपने दायित्वों को पूरा न करने के फलस्वरूप देखने को मिल रहे हैं। मैं विनम्र निवेदन करती हूं कि आप सभी बहनों से समाज में व्याप्त पुरूष समाज की मानसिक गन्दगी को साफ कर सुंदर, सुरक्षित, नैतिक भारत का निर्माण करें।
(लेखक टीडीपीजी कालेज के मनोविज्ञान विभाग में कार्यरत हैं)

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