जलालपुर, जौनपुर। कुटीर पीजी कालेज चक्के जौनपुर के प्राणी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार खरवार को चुलावार्न ग्रेजुएट इंस्टीट¬ूट बैंकॉक (थाईलैंड) में शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह शोध 'मेलाटोनिन के आण्विक और नैदानिक" पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 30-31 अगस्त 2018 को बैंकाक, थाईलैंड में निर्धारित किया गया जिसमें दुनिया के तमाम शोधरत वैज्ञानिक एकत्रित होंगे।
डॉ. खरवार ने बताया कि यह शोध 'मधुमेह अल्बिनो चूहे के फेफड़ों की चोट पर मेलाटोनिन का प्रभाव" का है। मधुमेह फेफड़ों की चोट में ऑक्सीडिएटिव तनाव को एक प्रमुख योगदान कारक माना गया है। इस प्रकार श्वसन तंत्र रोगजनक हमले और संक्रमण के लिए एक लक्षित अंग बन जाता है जिसमें मेलाटोनिन एक शक्तिशाली इम्यूनोस्टिम्युलेटर और एंटीऑक्सीडेंट के रुप में साबित होता है। वर्तमान अध्ययन का उद्देश्य मधुमेह की स्थिति में फेफड़ों के ऊतक के संरचनात्मक और जैव रासायनिक परिवर्तनों पर मेलाटोनिन के प्रभाव की जांच करना था। विगत समय प्रयोग से यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि मेलाटोनिन मधुमेह की स्थिति में फेफड़ों की चोट के दौरान क्षति को कम करता है। इस अध्ययन के परिणाम में एंडोक्राइनोलजिस्ट और इम्यूनोलजिस्ट दोनों के लिए काफी मूल्यवान साबित हो सकता है। यह शोध चूहों पर किया गया है जिसमें मेलाटोनिन और अंधकार की उपस्थिति में यह पाया गया कि फेफड़े में डायबिटीज द्वारा हुई क्षति को दवा की जगह अंधकार का प्रयोग करके ठीक किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि मेलाटोनिन एक प्रकार का ऐसा मलिक्यूल है जो कि एंटीऑक्सीडेंट्स होने के साथ-साथ प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इन गुणों की वजह से मेलाटोनिन क्षतिग्रस्त फेफड़ों पर कारगर साबित हो सकता है। प्रकाश-चिकित्सा का इस्तेमाल कर डायबिटीज रोगी क्षतिग्रस्त फेफड़ों से छुटकारा पा सकता है। इस शोध में उनके साथ कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी अमेरिका के वैज्ञानिक पाल जे. वाल्टर भी सम्मिलित हैं। इस सूचना की जानकारी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. वीएन पाण्डेय ने दिया। प्रबंधक डॉ. अजयेंद्र कुमार दुबे के साथ-साथ महाविद्यालय की सभी इकाइयों ने इस सूचना पर डॉ. खरवार को शुभकामनायें दी।
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