खुटहन : चार गांवों में खुरपका, मुँहपका रोग बना महामारी

खुटहन, जौनपुर। क्षेत्र के लवायन, अहीर खेतार, बीरी और बेगराजपुर गांवों में सौ से अधिक पालतू मवेशी खुरपका, मुंहपका रोग की जद में आकर जीवन मौत से जूझ रहे है। इस रोग से अब तक दो गायों की मौत हो चुकी है। महामारी का रुप धर चुके इस रोग से पशुपालक भयभीत है। इलाज मे अत्यधिक व्यय के चलते किसान देशी नुस्खे की दवाओं का प्रयोग कर रहे है। ग्रामीण रोग से बचाव का टीका न लगाये जाने का आरोप लगा रहे है। उधर पशु चिकित्साधिकारी का दावा हैं कि गांव में टीम जाने के बाद भी लोग टीके नहीं लगवाये। जिसके चलते ऐसा हो रहा है।
उक्त गांव निवासी फुर्ती यादव की एक पखवाड़े पूर्व सर्वप्रथम दो गायें रोग के चंगुल में आ गयी। सबसे पहले उनके पैर की खुरें फट गई। उनसे खून रिसने लगा। देशी दवाओं से उसका उपचार कर रहे थे कि उनकी खुरे ही निकल गई। जिससे गायें बैठक लेली। फिर वे उठ न सकी। दोनों की मौत के बाद रोग महामारी का रूप अख्तियार कर लिया। बढ़ता हुआ लवटू यादव की दो गाय, बिन्दू यादव की तीन गाय, प्रज्ज्वलित यादव की दो भैंस, पन्नालाल की दो गाय,  अमित यादव की पांच भैंस, लालचंद, पाल, फूलचंद आदि की दो दो गायों को जद मे ले लिया। इसके अलावा भी पचासो मवेशी रोग की चपेट मे जीवन मौत से जूझ रहे है। 
ग्रामीणों का आरोप हैं कि सरकारी चिकित्सक को बुलाया जाता हैं तो वे पांच से सात सौ तक की बिल एक बार में बना देते है जो चुकाना हम सभी को भारी पड़ जाता है। जिसके चलते किसान घरेलू नुस्खे, ढांख के बृक्ष की छाल, फिटकिरी, सेंधानमक और लिप्टस की पत्तियां एक साथ पानी में उबालकर उसी से मवेशियों के खुर व मुंह की धुलाई कर रहे है। खुर पर गाडि़यों से निकाला गया खराब मोबिल भी डाला जा रहा है लेकिन उससे कोई लाभ नहीं हो रहा है। घटने को कौन कहे रोग लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 
इतने बड़े पैमाने पर मवेशियों के पीडि़त होने के बाद भी सरकारी महकमे के कान पर जूं तक नही रेंग रहा है। इसको लेकर जहां गांव में चिकित्सकों की अब तक कई टीमें पहुंच जाना चाहिए था। वहीं चिकित्सा अधिकारी खुटहन चंद्रभान भारशिव यह कहकर अपनी जान छुड़ा रहे है कि ग्रामीणों ने टीका ही नहीं लगवाया। गौरतलब हो कि एक दो किसान टीका नहीं लगवाये होंगे। क्या चार गांवों के सभी किसानों ने टीका नहीं लगवाया। यहां ग्रामीणों का आरोप सही लगता हैं कि उक्त गांवों में टीकाकरण किया ही नहीं गया है। उसे मात्र कागजों पर ही दिखा दिया गया होगा। पशु चिकित्सक चंद्रभान का कहना हैं कि सभी पशुओं का उपचार किया जा रहा है। कुछ दवाएं बाहर से भी मंगानी पड़ रही है। पशुपालक अस्पताल आकर पांच रुपये की पर्ची भर उपलब्ध दवाएं नि:शुल्क ले जायें।


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