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केराकत : ज्ञान किसी धर्म ग्रंथ पुस्तक में लिखा गया शब्द नहीं : संत प्रभु दयाल

जौनपुर। निराकार परमात्मा ही साकार रूप में धरती पर आकर मानव को मुक्ति दिलाता है। आज का मानव मोह-माया अपना मानकर और अपने को भूलकर अंधकार में जिता जाता है। तब निराकार साकार रूप में आकर मानव को ज्ञान के माध्यम से अंधकार से उजाले की ओर ले जाता है और मानव को स्वयं की पहचान कराकर उसे जीवन मुक्त करता है। यह बातें जौनपुर केराकत स्थित अकबरपुर निरंकारी सत्संग समारोह में उपस्थित विशाल संत समूह को संबोधित करते हुए कही।


पंजाब से आये विद्वान संन्त प्रभु दयाल सिंह जी ने व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि ज्ञान किसी धर्म ग्रंथ पुस्तक में लिखा गया शब्द नहीं है बल्कि ज्ञान का अर्थ हैं खुद की पहचान तभी संभव है  जब सदगुरू इसकी पहचान करायें। खुद की पहचान ही परमात्मा की पहचान है। हम इस धरती पर किसलिये जन्म लिये है और क्या करना है? परमात्मा की दया से ही मानव जन्म मिला हैं और मानव जन्म पाकर भी हमें इस निरंकार परमात्मा का बोध नहीं होता तो मानव जन्म व्यर्थ मानव को खुद की पहचान केवल सतगुरू ही करा सकता है। निरंकारी सतगुरू माता सुदीक्षा सविन्दर हरदेव सिंह महराज मानव के सारे भ्रमों को समाप्त करके उसको खुद की पहचान करा रही है और मानव को मानव बना रही है। वास्तव में मानव वही है जो इंसानियत वाला कर्म करें। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मानिकचन्द्र तिवारी, गुरूमीत विक्की, उदय नारायण जायसवाल, राधेश्याम द्विवेदी इत्यादि उपस्थित रहे। मंच का संचालन रमाशंकर ने किया।

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