जौनपुर : नैतिक मूल्य के विकास से ही गुणवत्तापरक शिक्षा संभव : दिव्यकांत शुक्ला


जौनपुर। भारत देश पूर्व में विश्व गुरु था। आदिकाल से लेकर अब तक देश विकास के शिखर पर है तो सिर्फ शिक्षा के कारण। वास्तव में वर्तमान शिक्षा ज्ञान व कौशल से संबंधी है, लेकिन उससे ज्यादा बच्चों में जरुरी है नैतिक, जीवन एवं सांस्कृतिक मूल्य की शिक्षा। इसके विकास से ही शिक्षा की गुणवत्ता में विकास हो सकता है। इसके लिए शिक्षक की गुरुता का दायित्व बढ़ जाता है। देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शिक्षा की विषमताओं को पाटने एवं शिक्षा को गुणवत्तायुक्त बनाने में ई- शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। ई-शिक्षा के माध्यम से डिजिटल क्रांति के जरिए देश के दूरदराज इलाकों में बालकों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध कराई जा सकती है। जिससे बाल केंद्रित तरीके से होने वाले शिक्षण-अधिगम से बालक में बुनियादी कौशलों का विकास हो सके। यह बातें बतौर मुख्य अतिथि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने रविवार को एबीएस इंटरनेशनल स्कूल महराजगंज में आयोजित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर आयोजित संगोष्ठी के अवसर पर कही।
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि श्री शुक्ला ने मां सरस्वती जी की प्रतिमा के समक्ष दीपप्रज्वलित कर तथा प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संस्था के चौयरमैन संजय सिंह ने मुख्य अतिथि को अंगवस्त्रम् व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। तत्पश्चात विद्यालय की छात्राओं ने स्वागत गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि श्री शुक्ला ने विद्यालय में पठन-पाठन में उपयोगी विभिन्न विषयों की  लैबोरेटरी, लाइब्रोरी तथा प्रोजेक्टर कक्ष का निरीक्षण किया। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी विश्वस्तरीय अत्याधुनिक प्रयोगशाला देखकर विद्यालय के डायरेक्टर पीएस सिंह की खूब प्रशंसा की। छात्रों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा में नवीन तकनीक  को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथा नई चिंतन पद्धतियों को बढ़ावा तथा उचित मात्रा में अवसर प्रदान करना चाहिए। जिससे हर बच्चे में क्षमताओं का संपूर्ण विकास  समान रूप से उपयोगी हो सके। गुणवत्तापरक शिक्षा हर बच्चे के सीखने के तरीके को अपने में समाहित करने वाली हो ताकि कक्षा में कोई भी बच्चा सीखने के पर्याप्त अवसर से वंचित ना रह जाए। संस्था के डायरेक्टर पीएस सिंह ने कहा कि शैक्षणिक  गुणवत्ता का तात्पर्य शिक्षा का उन समस्त मानकों पर खरा उतरना जिनको ध्यान में रखकर यह प्रदान की जा रही है। यदि शिक्षा वर्तमान जीवन की चुनौतियों को कुशलतापूर्वक हल कर दें, छात्र को अधिक दक्ष बना दें, उसमें आधुनिकतम ज्ञान-विज्ञान के कुशलतापूर्वक उपयोग को संभव बनाये तथा उसे इस योग्य बनाये कि वह नवीन ज्ञान का सृजन कर सके तो यह माना जा सकता हैं कि बालकों के लिये यह गुणवत्तापरक शिक्षा है। प्रधानाचार्य रोहित सिंह ने कहा कि शिक्षा सिर्फ सैद्धांतिक ना होकर व्यवहारिक जीवन में भी उपयोगी हो। ऐसा पाठ¬क्रम तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को इस प्रकार हमें तैयार करना होगा जिससे बालक का सम्पूर्ण विकास चरित्र निर्माण से लेकर जीवन निर्माण एवं व्यवसायिक कुशलता से लेकर तकनीकी कुशलता तक हो सके। संस्था के चौयरमैन संजय सिंह ने कहा कि हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को इस मौलिकता के साथ तैयार करना होगा जो हमारे हिसाब से हो तथा हमारी जरुरत के मुताबिक हो, क्योंकि हजारों सालों से यह धरती जिज्ञासुओं एवं साधकों की रही है।
Previous Post Next Post

Contact us for News & Advertisement

Profile Picture

Ms. Kshama Singh

Founder / Editor

Mo. 9324074534