खुटहन, जौनपुर। एक तरफ जहां जनसंख्या अनुपात सही रखने को लेकर कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार द्वारा लोगों को मानसिकताएं बदलने के लिए तमाम उपक्रम और कानून का दायरा कठोर किया जा रहा है। वहीं बुधवार को दो पुत्रों से आच्छादित दंपती ने पिलकिछा पुल के नीचे झाडि़यों में फेंकी गयी नवजात लावारिस बच्ची को अपनी पुत्री के रूप मे स्वीकार कर एक आदर्श प्रस्तुत कर दिखाया। जिसका वहां तमाशीन बने दर्जनों लोग गवाह बने।
उक्त पुल के नीचे तिलवारी गांव में बुधवार को गांव के कुछ लड़के बकरी चरा रहे थे। तभी उन्हें झाडि़यों के भीतर से किसी नवजात के रोने की आवाज सुनाई दी। नवजात को झाडि़यों से बाहर निकाल इसकी सूचना ग्रामीणों को दी गई। देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ जमा होने लगी। लगभग घंटे भर तक लोग नवजात को देखते रह गये। उधर बच्ची लगातार रोए जा रही थी। नवजात का रोना, वहां पहुंचे इसी गांव निवासी संजय प्रजापति और उनकी पत्नी बिन्दू देवी को बर्दाश्त नहीं हुआ तो दोनों आगे बढ़ बच्ची को गोद में ले लिये। उन्होंने कहा कि उनके दो पुत्र यश और दिवस है। अब इन्हीं की तरह यह भी मेरी पुत्री बनकर रहेगी। वे वहां से नवजात को लेकर अस्पताल आ गये। जहां चिकित्सक ने उसे स्वस्थ बताया। दंपती नवजात को लेकर घर चले गए।
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