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सुरेरी : अभिलेख के इंतजार में दिन भर बैठे रहे जांच अधिकारी

सुरेरी, जौनपुर। विकासखंड रामपुर के भदखिन गांव में ग्रामीणों की शिकायत पर मंगलवार को जांच करने पहुंचे जांच अधिकारी को जांच करने के लिए अभिलेख का घंटों इंतजार करने के बाद भी बिना जांच किए बैरंग वापस जाना पड़ा जबकि जांच अधिकारी द्वारा साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए ग्राम प्रधान व सेक्रेटरी को दो-दो बार पत्र जारी किया जा चुका है। अभी तक ग्रामसभा की जांच ग्राम प्रधान व सेक्रेटरी के द्वारा दिये गये कुछ हस्तलिखित सूची से ही की गई। बाकी शिकायत की जांच को हस्तलिखित सूची भी मौजूद नहीं हैं।
विकासखंड रामपुर के भदखिन गांव के संतोष मिश्रा की शिकायत पर रामपुर विकासखंड के एडीओ एजी रामपुर श्रवण कुमार उपाध्याय मंगलवार को 11वें दिन गांव में जांच करने पहुंचे। जहां जांच अधिकारी द्वारा पूर्व में ही ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी को जांच करने के लिए अभिलेख उपलब्ध कराने को लिखित पत्र जारी किया गया था। जिससे जांच करने के लिए ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी द्वारा जांच अधिकारी को आवास व शौचालय से संबंधित हस्तलिखित साक्ष्य उपलब्ध कराया गया था और बाकी जांच के लिए जल्दी ही अभिलेख उपलब्ध करा देने की भी बात कही गई थी लेकिन जांच अधिकारी द्वारा बार-बार पत्र लिखे जाने के बाद भी जांच अधिकारी को ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी द्वारा कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया जा सका अभिलेख उपलब्ध कराना तो दूर अब तो वर्तमान सेक्रेटरी सिंहासन द्वारा महीनों पूर्व चार्ज लेने के बाद भी अभी तक खुद भी कोई अभिलेख चार्ज में ना पाने की दुहाई देने लगे। जांच अधिकारी ने सेक्रेटरी से पूछा कि जब आपके पास अभी तक कोई अभिलेख चार्ज में नहीं दिया गया हैं तो आप स्वत: हस्तलिखित सूची कैसे मुझे उपलब्ध करा दिया जो गंभीर बात है। जिसका सेक्रेटरी द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो जांच अधिकारी ने पूर्व में सेक्रेटेरी रहे ज्ञानचंद को भी अभिलेख उपलब्ध कराने को लिखित सूचना दिये लेकिन आज तक ना तो प्रधान और ना ही वर्तमान व पूर्व सेक्रेटरी द्वारा ही कोई अभिलेख उपलब्ध कराया जा सका। जिसकी वजह से गांव में घंटों इंतजार के बाद जांच अधिकारी को अभिलेख के अभाव में बिना जांच किये बैरंग वापस जाना पड़ा जिसकी सूचना जांच अधिकारी द्वारा उच्चाधिकारी को भी दे दी गयी। इस संदर्भ में जांच अधिकारी श्रवण कुमार उपाध्याय ने बताया कि बार-बार सूचना देने के बाद भी ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी द्वारा अपनी-अपनी धांधली को छिपाने व दबंगई का परिचय देते हुए कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया गया। जिसकी वजह से आज जांच नहीं हो सकी।


  

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