जौनपुर। मस्जिद अबू तालिब पर मजलिस हुई। मजलिस का आगाज सुबह 10 बजे से शुरु हुआ। सबसे पहले पेशखानी से हुई। उनके फौरन बाद मौलाना मास्टर मोहम्मद हसन ने मजलिस को खेताब किया जहां जुलूस उठकर धीरे-धीरे अपने कदीम रास्तों से होता हुआ। सै. अनवार हुसैन मरहूम अन्नू साहब के मकान पर पहुंचा जहां पर पेशखानी के फरायज को अंजाम दिया। जमीर जौनपुर ने इनके फौरन बाद सै. हाजी कैसर ने तकरीर किया। बाद खत्म तकरीर सै. अनवार हुसैन के मकान से गहवारे अली असगर झूला तुरबत व अलमे मुबारक बरामद हुआ जिसको जुलजनाह से मिलाया गया। जुलूस क हमराह अंजुमन हैदरी आलम खां की तमाम अंजुमनें ने नौवा खानी व सीना जनी करती हुए धीरे-धीरे इमाम बारगाह छीतन मरहूम तक जुलूस पहुंचा। जहां जुलूस खत्म हुआ। संचालन सै. एजाज अली शादाब ने किया। जुलूस में आये हुए तमाम मोमनीन का शुक्रिया अदा किया। सै. नजमुल हसन पप्पू ने सै. नौशाद अली मिंटू, सै. गुलाब हुसैन, आजाद लोहा आदि मौजूद रहे।
इसी क्रम में हजरत मुहब्बत साहब के नवासे इमाम हुसैन अ.स. एवं उनके साथ कर्बला में शहीद हुए 72 शहीदों को आसूर के दिन शहीद कर देने के बाद इमाम हुसैन के परिवार वालों को असीर बंधक किया गया। बीबीयों की चादरें जालिमों ने छीन लिया। शहादते इमाम हुसैन की याद में इमाम बाड़ा अकबर मरहूम पान दरीबा रोड से जुलूस निकाला गया। जुलूस निकालने से पहले मस्जिद शेख हशमत अली में सोजखानी सै. मो. मुस्लिम मरहूम के साथियों ने किया। उसके बाद मौलाना डा. सै. कमर अब्बास ने मजलिस को खेताब फरमाया बाद खत्म मजलिस इमामबाड़ा अकबर मरहूम से जुलूस बरामद हुआ जो अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ इमामबाड़ा शेख इस्लाम मरहूम की चौक तक पहुंचा यहां पर पहली तकरीर जनाब मौलाना सै. बेलाल हसनैन ने खेताब फरमाया। दूसरी तकरीर शायर कैसर नवाब ने किया जिसके बाद शबीहे ताबूत को जुलजनाह से मिलाया गया। इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
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