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Jaunpur Live : आज भी सतियों की याद दिलाते हैं जफराबाद के सेमर घाट पर बनीं शिलाएं

उमाकान्त गिरि
जौनपुर। जफराबाद का सेमर घाट इतिहास के पन्नों का एक हिस्सा है। घाट पर बने 7 बड़े खम्भे अपने आपमें इतिहास को समेटे हुये हैं। किसी एक कोने से देखने पर प्रतीत होता है कि मानों 7 सतियां श्रृंगार करके खड़ी हैं। बता दें कि उक्त शिलाएं कस्बे के स्व. राधेश्याम बरनवाल के पूर्वजों की मृत्यु के बाद उनकी सती हो चुकी पत्नियों की याद में बनवाये गये हैं। लगभग 90 वर्षीया ज्ञानेश्वरी देवी पत्नी राधेश्याम बरनवाल बताती हैं कि उन्होंने अपने पूर्वजों से इन सतियों के बारे में जो जानकारी मिली थी, उसके अनुसार कालान्तर में सती प्रथा के चलन में कुल 7 महिलाएं सती हुई थीं। यह परम्परा उनके खानदान में पूर्व के 14 पुस्तों तक चलती रही। इस प्रथा के बन्द होने के प्रश्न पर वह बताती हैं कि लगभग 250 वर्ष पहले की बात है। जब उन्हीं के घर की राम कटोरी देवी जो 6 वर्ष की आयु में ही विधवा हो चुकी थीं, की सती होने की बात पर परिवार में असमजंस की स्थिति बनी हुई थी तथा समाज से भी यह प्रथा बन्द करने की कवायद शुरू हो चुकी थी।



साथ ही उनकी उम्र को देखते हुये परिवारिक निर्णय में इस प्रथा को बन्द करते हुये उस समय परिवार के ही बेचू लाल बरनवाल, कालीचरन बरनवाल सहित तत्कालीन तहसीलदार लक्ष्मन दास बरनवाल ने पूर्व में सती हो चुकीं महिला पूर्वजों की बनायी गयी शिलाएं की मरमम्त आदि करवाने का निर्णय लिया। बीते कार्यकाल में स्थानीय नगर पंचायत ने उक्त स्थल की सुधि लेते हुये उक्त स्थल पर इण्टरलाकिंग करा दिया गया था। आज भी शादी विवाह के पश्चात जोड़ा आशीर्वाद प्राप्ति के लिये सेमर घाट पहुंचता है और मत्था टेक करके सती देवी से सुखी दाम्पत्य जीवन की कामना करता हैं। पुत्र प्राप्ति के पश्चात यहां पर सभी शिलाओं को सती के रूप में इन शिलाओं का सोलहों श्रृंगार किया जाता है और 3 चांदी का कलश व 4 मिट्टी के कलश रखकर पूजा की जाती है। साड़ियां प्रजाओं में बांटने के बाद जो बचती है, उसे बहू-बेटियां सत्ती मां का आशीर्वाद मानकर पहनती हैं। सती प्रथा के बारे में जब धर्मज्ञाता डा. शंकराचार्य तिवारी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि आज सतियों के मंदिर अथवा खम्बों का आकार लिये शिलाएं दिखने को मिल जायेंगी। खासकर सतियों के मंदिर राजस्थान में बहुतायत मिल जायेंगे। अगर जफराबाद में है तो जरूर ही यहां का कुछ इतिहास होगा। स्त्रियों के विधवा हो जाने पर उनके सती हो जाने की प्रथा के सम्बन्ध में हिन्दू धर्म शास्त्रों में विधि-विधान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हिन्दू धर्म किसी भी रूप में भारतीय समाज में फैली सती प्रथा का समर्थन नहीं करता है। ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि पति की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को उसकी जलती चिता पर बैठकर भस्म होना है। हिन्दू धर्म के ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद में से किसी में भी में स्त्री को सती करने जैसी व्याख्या नहीं है। हालांकि अब यह प्रथा पूर्णरूपेण बंद हो चुकी है।

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