हरिहरपुर में 'साहित्य साकेत" संग्रहालय को मजबूत करने पर हुई चर्चा
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल ने जिले के वरिष्ठ साहित्यकार स्व. स्वामीनाथ पाण्डेय के औपन्यासिक कृतियों 'अघोर पुरु ष संत कीनाराम" एवं 'राधा मन बूड़त बिन पानी" का विमोचन वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित 40वें दीक्षांत समारोह के उपरांत किया। पुस्तक का अनावरण करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार की शोधपरक कृतियां निश्चय ही हिन्दी साहित्य को समृद्ध करेंगी। उन्होंने कहा कि गांव छोड़ लोग जब शहरों कि ओर चल दिए हो, जिंदगी पर जब भौतिकता का ग्रहण लगा हो; ऐसे में कोई साहित्यकार आजीवन अपने गांव से जुड़कर साहित्य संरक्षण व साधना में लगा हो तो यकीनन उसका यह प्रयास स्तुत्य है। ऐसा ही सराहनीय प्रयास डोभी क्षेत्र के हरिहरपुर गांव निवासी लेखक, पत्रकार व साहित्यकार स्व. स्वामीनाथ पाण्डेय ने अपने पूरे जीवन भर किया।
राज्यपाल से मिल कर साहित्य साकेत संग्रहालय के प्रबंधक, पत्रकार वारिंद्र पाण्डेय ने बताया कि 1930 में जन्मे श्री पाण्डेय ने अपने गांव की अड़ी कभी नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने घर में ही साहित्यिक पुस्तकों और अखबारों का संग्रहालय बना रखा था। यह महान साहित्यकार 27 अक्टूबर 2017 को महाप्रयाण कर स्मृतिशेष हो गए। उनके द्वारा स्थापित ऐसे विरले व अतिमहत्वपूर्ण संस्था को धरोहर के रूप में बचाये जाने के लिए श्री पाण्डेय ने राज्यपाल को संस्था की परिचयात्मक फाइल सौंपी। ज्ञात हो कि डोभी क्षेत्र के हरिहरपुर में स्थित साहित्य साकेत संस्था में अस्सी से 90 दशक पुरानी पत्र-पत्रिकाएं, दुर्लभ पुस्तकें व पाण्डुलिपियों के अतिरिक्त साहित्यकारों, कवियों, लेखकों व पत्रकारों के पत्र संरक्षित हैं। पूर्व प्रधानमंत्री, भारतरत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 1950 में स्वामीनाथ पाण्डेय को लिखा पत्र आज भी संरक्षित है। इस अवसर पर काशी के विशिष्टजनों के अतिरिक्त काशी विद्यापीठ, वाराणसी के कुलपति प्रो. टीएन सिंह व डॉ. पृथ्वीश नाग पूर्व कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी ने भी शिरकत किया।
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल ने जिले के वरिष्ठ साहित्यकार स्व. स्वामीनाथ पाण्डेय के औपन्यासिक कृतियों 'अघोर पुरु ष संत कीनाराम" एवं 'राधा मन बूड़त बिन पानी" का विमोचन वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित 40वें दीक्षांत समारोह के उपरांत किया। पुस्तक का अनावरण करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार की शोधपरक कृतियां निश्चय ही हिन्दी साहित्य को समृद्ध करेंगी। उन्होंने कहा कि गांव छोड़ लोग जब शहरों कि ओर चल दिए हो, जिंदगी पर जब भौतिकता का ग्रहण लगा हो; ऐसे में कोई साहित्यकार आजीवन अपने गांव से जुड़कर साहित्य संरक्षण व साधना में लगा हो तो यकीनन उसका यह प्रयास स्तुत्य है। ऐसा ही सराहनीय प्रयास डोभी क्षेत्र के हरिहरपुर गांव निवासी लेखक, पत्रकार व साहित्यकार स्व. स्वामीनाथ पाण्डेय ने अपने पूरे जीवन भर किया।
राज्यपाल से मिल कर साहित्य साकेत संग्रहालय के प्रबंधक, पत्रकार वारिंद्र पाण्डेय ने बताया कि 1930 में जन्मे श्री पाण्डेय ने अपने गांव की अड़ी कभी नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने घर में ही साहित्यिक पुस्तकों और अखबारों का संग्रहालय बना रखा था। यह महान साहित्यकार 27 अक्टूबर 2017 को महाप्रयाण कर स्मृतिशेष हो गए। उनके द्वारा स्थापित ऐसे विरले व अतिमहत्वपूर्ण संस्था को धरोहर के रूप में बचाये जाने के लिए श्री पाण्डेय ने राज्यपाल को संस्था की परिचयात्मक फाइल सौंपी। ज्ञात हो कि डोभी क्षेत्र के हरिहरपुर में स्थित साहित्य साकेत संस्था में अस्सी से 90 दशक पुरानी पत्र-पत्रिकाएं, दुर्लभ पुस्तकें व पाण्डुलिपियों के अतिरिक्त साहित्यकारों, कवियों, लेखकों व पत्रकारों के पत्र संरक्षित हैं। पूर्व प्रधानमंत्री, भारतरत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 1950 में स्वामीनाथ पाण्डेय को लिखा पत्र आज भी संरक्षित है। इस अवसर पर काशी के विशिष्टजनों के अतिरिक्त काशी विद्यापीठ, वाराणसी के कुलपति प्रो. टीएन सिंह व डॉ. पृथ्वीश नाग पूर्व कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी ने भी शिरकत किया।
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