जौनपुर। कर्बला में हजरत इमाम हुसैन व उनके 71 साथियों ने पूरी मानवता की रक्षा के लिए न सिर्फ अपनी जान कुर्बान की बल्कि आज जो इंसानियत जिंदा है वो इमाम हुसैन की देन है। इसलिए हम सब कयामत तक इमाम हुसैन का गम यूं ही मनाते रहेंगे। उक्त बातें सोमवार की रात नगर के मुफ्ती मोहल्ला स्थित इमामबाड़ा मो. नसीम मरहूम, मो. रजा मरहूम ने एक मजलिस को खेताब करते डा. कमर अब्बास ने कही।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद का सबसे बड़ा का दंश 1400 साल पहले इमाम हुसैन व उनके परिवार पर पड़ा था। आज जो लोग मानवता का खून बहा रहे है वो यजीद के मानने वाले है। मजलिस के बाद जुलूस अलम शबीहे ताबूत हजरत जैनुल आब्दीन, झूला अली असगर व जुलजनाह निकाला गया जिसकी हमराह अंजुमन सज्जादिया रही। साथ ही शहर की अंजुमन कौसरिया, अजाए अहले बैत, मासूमिया, शमशीरे हैदरी, दुआ फात्मा जहरा, हैदरिया, असगरिया, अजादारिया ने नौहा मातम कर शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। जुलूस कदीम रास्तों से होता हुआ चौक अब्दुल मजीद पहुंचा जहां एडवोकेट इसरार हुसैन ने तकरीर किया। जिसके बाद जुलूस मेंहदी हसन वास्ती इमामबाड़े में जाकर समाप्त हुआ। सोजख्वानी रविश व उनके हमनवां ने किया तथा पेशखानी सादाब, एखलाख जौनपुरी ने किया। जुलूस में कमेटी के सादिक रजा, आबिद रजा, मो. दानिश रजा, मोहम्मद जेया, जिशान रजा, मोहम्मद आजम रजा ने अंजुमनों का आभार प्रकट किया। इस मौके पर अनवार आब्दी, हसन जाहिद खां बाबू, मोहम्मद, नादिर, मेंहदी हसन वास्ती सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद का सबसे बड़ा का दंश 1400 साल पहले इमाम हुसैन व उनके परिवार पर पड़ा था। आज जो लोग मानवता का खून बहा रहे है वो यजीद के मानने वाले है। मजलिस के बाद जुलूस अलम शबीहे ताबूत हजरत जैनुल आब्दीन, झूला अली असगर व जुलजनाह निकाला गया जिसकी हमराह अंजुमन सज्जादिया रही। साथ ही शहर की अंजुमन कौसरिया, अजाए अहले बैत, मासूमिया, शमशीरे हैदरी, दुआ फात्मा जहरा, हैदरिया, असगरिया, अजादारिया ने नौहा मातम कर शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। जुलूस कदीम रास्तों से होता हुआ चौक अब्दुल मजीद पहुंचा जहां एडवोकेट इसरार हुसैन ने तकरीर किया। जिसके बाद जुलूस मेंहदी हसन वास्ती इमामबाड़े में जाकर समाप्त हुआ। सोजख्वानी रविश व उनके हमनवां ने किया तथा पेशखानी सादाब, एखलाख जौनपुरी ने किया। जुलूस में कमेटी के सादिक रजा, आबिद रजा, मो. दानिश रजा, मोहम्मद जेया, जिशान रजा, मोहम्मद आजम रजा ने अंजुमनों का आभार प्रकट किया। इस मौके पर अनवार आब्दी, हसन जाहिद खां बाबू, मोहम्मद, नादिर, मेंहदी हसन वास्ती सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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