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Jaunpur Live : वर्षों से नहीं हुई उपकेन्द्रों पर तैनाती, एएनएम सेण्टरों पर लटक रहा ताला




  • उपकेन्द्र गद्दोपुर-लोहिन्दा डिलवरी के लिये केवल कागज पर चल रहा
  • बगल में बने ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर भी नहीं मिलतीं सम्बन्धित सुविधाएं

Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
हुब लाल यादव
जौनपुर। जनपद के महराजगंज क्षेत्र के गद्दोपुर सरकारी अस्पताल, एएनएम सेण्टर, उपकेन्द्र राजा बाजार, स्वास्थ्य केन्द्र पूरा लाल, लोहिन्दा कई वर्ष पहले बनी हैं जहां तमाम सम्बन्धित सुविधाएं पूर्व में उपलब्ध रहती थीं लेकिन अब नदारत हो गयी हैं। इन जगहों पर तैनात 3 दर्जन से अधिक आशाएं मजबूरन रात-दिन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र महराजगंज का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। कभी गर्भवती महिला की डिलवरी को लेकर तो कभी बैठक के बहाने महराजगंज का चक्कर लगाती हैं जबकि सरकार ने सारी सुविधा नजदीकी सरकारी अस्पतालों व उपकेन्द्रों पर दी है। ग्रामवासी परेशान रहते हैं कि सरकार ने गांव में 1 हजार की आबादी पर टीकाकरण, गर्भवती महिला की देखभाल, सहयोग, बच्चों, किशोरियों सहित अन्य बीमारों की देख-रेख के लिये गांव में घर-घर पहंुचकर उनकी सुरक्षा हेतु इनकी तैनाती की है कि महराजगंज अस्पताल की रखवाली के लिये। बता दें कि संदेश पहुंचाने व सिखाने के लिये सरकार ने 20-20 आशाओं पर आशा संगिनी की अलग से तैनाती की गयी है। लापरवाही का आलम यहां तक है कि आशा संगिनी बैठक के बहाने आशाओं को संदेश देकर 20-20 किमी की दूरी से महराजगंज बुलवाकर वहीं रजिस्टर पर आशाओं से हस्ताक्षर करवाती हैं। संदेश भी आशाओं को वहीं बीसीपीएम बता देता है जो काम आशा संगिनी का प्रत्येक आशा के गांव-गांव जाकर सहयोग करना है, उन्हीं संगिनियों के कार्य बैठक के बहाने बीसीपीएम ही कर देता है। ग्राम प्रधान शिव प्रसाद, सूबेदार, विजय सहित तमाम लोगों का कहना है कि आशा की तैनाती गांव के लिये है। आशा संगिनी को मानदेय किसलिये सरकार देती है। आशा तक पहुंचने व सहयोग करने के लिये क्यों पैसा मिलता है। गद्दोपुर के लालजी, संजय, राजेश, रमेश, बसहरा के अजय सिंह, विनोद, रामजीत, मुन्शी लाल, चरियाही के नन्द लाल, मोती लाल, हरीलाल, हीरा आदि का कहना है कि गद्दोपुर एएनएम सेण्टर सरकार द्वारा डिलवरी कराने हेतु है। कई वर्षों तक दर्जनों गांवों की आशाएं प्रसूता महिलाओं की डिलवरी कराती रहीं लेकिन वह वर्षों से बन्द क्यों है? स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से सेण्टर पर वर्षों से ताला लगा है। आशा के अधिकारी बीसीपीएम सचेन्द्र चौहान का कहना है कि महराजगंज अस्पताल में रोस्टर के माध्यम से आशाओं की बैठक होती है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र महराजगंज की आशा जो 20 किमी दूर से पैदल आती-जाती हैं, उनकी सुरक्षा कौन करेगा जबकि उनके नजदीकी सरकारी अस्पतालों पर उनकी बैठक क्यों नहीं करायी जाती। गौरतलब है कि पहले मरीज डिलवरी एमरजेंसी ले आने-जाने वाली 108 व 102 एम्बुलेन्स सरकारी गाड़ी महराजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर खड़ी होती रही हैं। किसी बात से नाराज गाड़ी चालक को पूर्व अधीक्षक डा. गोपेश सिंह ने अस्पताल परिसर से आधी रात को भगाया था। तब से सभी एम्बुलेन्स बाजार के बाहर दूर किराये के मकान पर खड़ी होती हैं। दूर-दराज की आशाएं नाम न छापने की शर्त पर अपने नजदीकी सरकारी अस्पतालों पर रोस्टर हेतु महराजगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की जगह नजदीकी अस्पतालों में बैठक कराने की मांग की हैं। उनका कहना है कि ऐसे में ग्राम प्रधान, ग्राम कमेटी, एएनएम, आशा, आंगनवाड़ी सहित सामाजिक संस्था की महिलाएं भी उपस्थित हो सकंे। उसी रोस्टर के हिसाब से आशा अधिकारी व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र महराजगंज के अधीक्षक भी सभी अस्पतालों तक पहुंच सकेंगे। उहाहरण स्वरूप जैसे जिलाधिकारी रोस्टर के तहत हर तहसीलों में पहुंचकर समस्याओं का समाधान करते हैं। इस सम्बन्ध में पूछे जाने पर चिकित्सा अधीक्षक डा. यूके सान्याल का कहना है कि एएनएम की कमी है। किसी तरह दूसरी जगहों पर तैनात एएनएम से टीकाकरण कार्य कराया जा रहा है।

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