Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
सुजानगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के मोहरियाव में विगत 27 वर्षों से हो रही ऐतिहासिक आदर्श रामलीला धर्म मंडल समिति के तत्वावधान में गुरुवार की रात को प्रथम दिन रामलीला में प्रभु श्री राम का जन्म हुआ। राज दरबार में राजा दशरथ बैठे थे तभी दरबारी पहुंचता है और सूचना देता है कि माता कौशल्या को एक पुत्र कैकेयी माता को एक पुत्र और सुमित्रा माता की गोद दो पुत्रों से संपन्न हुई सूचना मिलते ही राजा दशरथ ने मंत्री सुमन्त को बुलाया और कहा कि मंत्री जाओ प्रजा में दान बाटो । राम का जन्म होते ही अयोध्या में धूम मच गई।
तड़का बध
यह सुकेतु यक्ष की पुत्री थी जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था। यह अयोध्या के समीप स्थित सुंदर वन में अपने पति और दो पुत्रों सुबाहु और मारीच के साथ रहती थी। उसके शरीर में हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था। उसी वन में विश्वामित्र सहित अनेक ऋषि-मुनि भी रहते थे। उनके जप, तप और यज्ञ में ये राक्षस गण हमेशा बाधाएँ खड़ी करते थे। विश्वामित्र राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्ष्मण को अपने साथ सुंदर वन लाए। राम ने ताड़का का और विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन सुबाहु का भी वध कर दिया। मारीच उनके बाण से आहत होकर दूर दक्षिण में समुद्र तट पर जा गिरा।
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सुजानगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के मोहरियाव में विगत 27 वर्षों से हो रही ऐतिहासिक आदर्श रामलीला धर्म मंडल समिति के तत्वावधान में गुरुवार की रात को प्रथम दिन रामलीला में प्रभु श्री राम का जन्म हुआ। राज दरबार में राजा दशरथ बैठे थे तभी दरबारी पहुंचता है और सूचना देता है कि माता कौशल्या को एक पुत्र कैकेयी माता को एक पुत्र और सुमित्रा माता की गोद दो पुत्रों से संपन्न हुई सूचना मिलते ही राजा दशरथ ने मंत्री सुमन्त को बुलाया और कहा कि मंत्री जाओ प्रजा में दान बाटो । राम का जन्म होते ही अयोध्या में धूम मच गई।
तड़का बध
यह सुकेतु यक्ष की पुत्री थी जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था। यह अयोध्या के समीप स्थित सुंदर वन में अपने पति और दो पुत्रों सुबाहु और मारीच के साथ रहती थी। उसके शरीर में हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था। उसी वन में विश्वामित्र सहित अनेक ऋषि-मुनि भी रहते थे। उनके जप, तप और यज्ञ में ये राक्षस गण हमेशा बाधाएँ खड़ी करते थे। विश्वामित्र राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्ष्मण को अपने साथ सुंदर वन लाए। राम ने ताड़का का और विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन सुबाहु का भी वध कर दिया। मारीच उनके बाण से आहत होकर दूर दक्षिण में समुद्र तट पर जा गिरा।
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