जौनपुर। भारत की प्राचीनतम विधा योग उच्च कोटि की साधना पद्धति के साथ उच्चतम कोटि की चिकित्सा पद्धति है जिसके क्रियात्मक और सैद्धांतिक पक्षों का नियमित और निरन्तर अभ्यास करके साध्य और असाध्य बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। यह बातें टीडी इंटर कालेज में सुबह एवं सायं पांच बजे से पाँच बजे से सात बजे तक आयोजित हुए 25 दिवसीय विशेष योग प्रशिक्षण शिविर में योगाभ्यास कराते हुए पतंजलि योग समिति के प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति के द्वारा कही गयी।
हरीमूर्ति के द्वारा बताया गया कि मानव जीवन के लिए ध्यान और प्राणायाम एक वरदान है जिसके नियमित अभ्यासों से शरीर के भीतर स्थित आठों चक्रों का जागरण होना शुरू हो जाता है जिसके कारण एक विशिष्ट प्रकार की जैविक ऊर्जा की उत्पत्ति शरीर में होती है फलस्वरूप विभिन्न प्रकार के हार्मोन्स का स्राव होना शुरू हो जाता है जिसके कारण स्थायी रूप से बीपी, अनिद्रा, बेचैनी और हृदय जैसी समस्याओं का समाधान हो जाता है। कपालभाति, वाह्य प्राणायम व अग्निसार और नौलिक्रिया का अभ्यास जहां मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र और मणिपुर चक्र को सक्रिय करता है तो वही भस्स्त्रिका, अनुलोम-विलोम और उज्ज्यी प्राणायामों का अभ्यास हृदय चक्र और विशुद्धि चक्र को सक्रिय करता है। भ्रामरी व उद्गीथ प्राणायामों के साथ नाड़ीशोधन का अभ्यास आज्ञा चक्र, मनश्चक्र और सहस्रार-चक्र को सक्रिय करके पूरे शरीर में जैविक ऊर्जा के प्रवाह को इतना तीव्र कर देता है कि व्यक्ति पूर्णतः तन और मन से स्वस्थ हो जाता है। इस मौके पर अभ्युदय विभाग के डीएसएम संजय साहू, परवेज अंसारी, अंकित श्रीवास्तव, इन्द्रभानु मौर्य, विनीत मौर्य, नन्हेलाल, आनंद सिंह, सोनू वेनवंशी, मनोज सिंह, विनोद यादव, अशोक कुमार, दीपक कुमार और शनि यादव सहित अन्य साधकों की उपस्थिति रही।
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