- नामी-गिरामी डॉक्टरों ने इलाज करने से कर दिया था इनकार
- सम्मानित नागरिकों के नाम लेने से पल्ला झाड़ लेते है कुछ डॉक्टर
जौनपुर। डॉक्टर को भगवान का दूसरा रुप कहा जाता है जब भी किसी को गंभीर बीमारी या चोट लगती है तो वो डॉक्टर को अपना सबकुछ मानकर उनके पास पहुंचता है और जल्द से जल्द इलाज शुरु करने की फरियाद करता है लेकिन आज के इस दौर में कुछ डॉक्टर ऐसे भी है जो मरीज को उसकी प्रोफाइल देखने के बाद ही अपने हॉस्पिटल में एडमिट कर इलाज शुरु करते है यदि आप सम्मानित नागरिक या या किसी ऐसे व्यक्ति का नाम लेते है तो डॉक्टर फौरन उसे दूसरे हॉस्पिटल में रेफर कर अपना पल्ला झाड़ लेते है लेकिन कुछ ऐसे भी डॉक्टर है जो आज मरीजों के लिए सच में भगवान साबित हो रहे है उनमें से एक जिले के वरिष्ठ ह्मदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एचडी सिंह है जिन्होंने बीते सोमवार को एक लड़की की जान बचाकर यह बात साबित कर दी।
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Dr. HD Singh |
गौरतलब हो कि सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के बड़ऊर गांव निवासी नयाब हसन सोनू के एक रिश्तेदार की पुत्री जो बोल नहीं सकती थी और क्षय रोग से ग्रसित थी अचानक उसकी तबियत खराब हो गयी। आनन-फानन में उसे हॉस्पिटल में एडमिट करने की सलाह स्थानीय डॉक्टरों ने दिया जिसे लेकर वे लोग सीधे ह्मदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएस उपाध्याय के यहां पहुंचे और उस लड़की को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट कर इलाज करने की बात कही। उन्होंने स्थानीय कुछ वरिष्ठ पत्रकार व स्वयंसेवी संस्थाओं व पदाधिकारियों का जैसे ही नाम बताया तत्काल उन्होंने बहाना बनाकर उस लड़की को डॉ. आरसी मौर्या के यहां रेफर कर दिया। लोग हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते रहे कि इसको तत्काल इलाज की जरुरत है बावजूद इसके उनका ह्मदय नहीं पसीजा। आनन-फानन में वे लोग उस लड़की को लेकर डॉ. आरसी मौर्या के यहां पहुंचे तो ये दो हाथ उनसे आगे ही निकले उन्होंने लड़की को देखते ही वहां से तत्काल कई और ले जाकर इलाज कराने का फरमान सुना दिया। स्थानीय एक वरिष्ठ पत्रकार को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने कृष्णा हार्ट केयर के निदेशक डॉ. एचडी सिंह को फोन पर सूचना दी तो उन्होंने तुरंत ही मरीज को अपने यहां बुलाया और रात को 10 बजे तत्काल उसका इलाज शुरु कर उसकी जान बचायी हालांकि उस लड़की का लखनऊ में उपचार के दौरान निधन हो गया।
यह कोई पहला मौका नहीं जब जिले के वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा मरीजों के साथ भेदभाव किया जाता रहा है। दो वर्ष पूर्व नगर के बलुआघाट निवासी स्व. वसी हैदर के इलाज के दौरान भी डॉ. बीएस उपाध्याय ने डेढ़ घंटे तक उनका इलाज नहीं किया था और तब एक बार फिर डॉ. एचडी सिंह ने उनको तत्काल चिकित्सा मुहैया कराकर जान बचाने का काम किया था।
यह कोई पहला मौका नहीं जब जिले के वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा मरीजों के साथ भेदभाव किया जाता रहा है। दो वर्ष पूर्व नगर के बलुआघाट निवासी स्व. वसी हैदर के इलाज के दौरान भी डॉ. बीएस उपाध्याय ने डेढ़ घंटे तक उनका इलाज नहीं किया था और तब एक बार फिर डॉ. एचडी सिंह ने उनको तत्काल चिकित्सा मुहैया कराकर जान बचाने का काम किया था।
सवाल यह उठता है कि आखिर जिले के नामी-गिरामी डॉक्टर क्यों अपने फर्ज को भुलाकर सिर्फ उन लोगों का इलाज करते है जिनके पास अच्छी खासी रकम होती है या फिर वे गांव के सीधे साधे लोग होते है जिन्हें महंगी महंगी दवाइयां देकर अपना कारोबार करने में जुटे रहते है।
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