Jaunpur Live : आस्था का प्रतीक पूर्वाचल का प्रसिद्ध ऐतिहासिक अलम नौचन्दी, जुलूसे अमारी



Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जौनपुर। शीराजे हिन्द जौनपुर का प्रसिद्ध आस्था का प्रतीक अलम नौचन्दी व जुलूस-ए-अमारी का 77वां दौर इस वर्ष 11 अक्टूबर को अलमदार हुसैन रिज़वी की अध्यक्षता में इमामबाड़ा स्व. मीर बहादुर अली दालान पुरानी बाज़ार पर हुआ। सन् 1943 में जब पूरा शहर प्लेग नामक महामारी के चपेट में था, और बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हो रही थी, इस दैवीय आपदा से जब तमाम उपायों के बाद भी छुटकारा नहीं हो पा रहा था तब इस जुलूस के संस्थापक सैयद ज़ुल्फ़ेकार हुसैन रिज़वी ने अपने दो साथियों के साथ अलम उठाने का संकल्प लिया और अलम उठाया गया। अलम को महामारी के प्रकोप वाले रास्ते से घुमाया गया और ईश्वरीय चमत्कार यह हुआ कि प्लेग की बीमारी से लोगों को निजात मिली और तभी से यह अलम उठता चला आ रहा है। इस अलम के प्रति लोगों की बड़ी आस्था है। इस जुलूस का प्रदेश की क्षितिज पर विशिष्ठ एवं महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हजरत मुहम्मद के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अ.स. व उनके लश्कर के अलमदार सेनापति हज़रत अब्बास अ.स. द्वारा सन् 61 हिजरी में कर्बला के मैदान में मानवीय मूल्यों की रक्षा एवं आतंकवाद के खिलाफ दी गयी कुर्बानी व उनके 72 भूखे-प्यासे जॉनिसारों पर यज़ीद जैसे क्रूर आतंकवादी शासक ने जिस तरह जुल्म किया लेकिन हज़रत हुसैन अ.स. और उनके जॉनिसारो ने यातनाऐं झेलते हुए इस्लाम की रक्षा की, यह जुलूस इसी याद को ताज़ा करने के लिए आयोजित किया जाता है। 

Jaunpur Live : आस्था का प्रतीक पूर्वाचल का प्रसिद्ध ऐतिहासिक अलम नौचन्दी, जुलूसे अमारी

Jaunpur Live : आस्था का प्रतीक पूर्वाचल का प्रसिद्ध ऐतिहासिक अलम नौचन्दी, जुलूसे अमारी


जुलूस निकलने के पूर्व अलम को इमामबाड़े में सजाया जाता है और लोग मन्नतें मंागते हैं और उनकी मुरादें पूरी होती है। जुलूस का आगाज़ सोजख्वानी से हुआ तत्पश्चात ख्याति प्राप्त शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद साहब किबला लखनऊ ने मजलिस को सम्बोधित किया। मौलाना ने कहा कि हज़रत अब्बास अ.स. को हज़रत इमाम हुसैन अ.स. ने जंग की इजाज़त नहीं दी उनको नहरे फ़ोरात से पानी लाने के लिए कहा कि हज़रत अब्बास अ.स. के नहरे फ़ोरात पर पहुंचते ही फौज में अफरा-तफरी मच गयी। हज़रत अब्बास ने मश्क में पानी भरा लेकिन प्यासे होने के बावजूद भी खुद पानी नहीं पिया। मजलिस के पश्चात अलम ज़ुलजनाह निकाला गया जिसमें विभिन्न जाति एवं समप्रदाय के कई हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मो. हसन द्वारा जुलूस निकाले जाने के कारणों पर प्रकाश डाला गया। जुलूस में बड़ी संख्या में लोग चल रहे थे, जुलूस के साथ अंजुमने नौहा मातम करती हुई चल रही थी। जुलूस जब इमामबाड़ा मीर घर पहुंचा तो एक तकरीर हुई जिसे डॉ. कमर अब्बास ने सम्बोधित किया। एक ताबूत सकीना निकाला गया जिसे अलम मुबारक से मिलाया गया। जुलूस के मुख्य संस्थापक स्व. सैयद जुलफ़ेकार हुसैन रिज़वी को श्रद्धांजलि दी गयी और मोमनीन द्वारा सुरहे फ़ातेहा पढ़ा गया। जुलूस के सिक्रेटरी सैयद शहंशाह हुसैन रिजवी ने जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, मीडिया, नगर पालिका के प्रति आभार व्यक्त किया। जुलूस के सदर इमामबाड़े पहुंचने पर एक तकरीर हुई, जिसे मौलाना रज़ी बिस्वानी ने सम्बोधित किया और अमारियां रौज़े में बारी द्वारी दाखिल हुई, तत्पश्चात जुलूस हुआ। संचालन सैयद खादिम अब्बास रिज़वी ने किया।

और नया पुराने

Contact us for News & Advertisement

Profile Picture

Ms. Kshama Singh

Founder / Editor

Mo. 9324074534