जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महंत अवैद्यनाथ संगोष्ठी भवन में चल रही सात दिवसीय श्री राम कथा के छठें दिन सोमवार को प्रख्यात कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज जी ने कहा कि संकल्प लेना सरल निभाना कठिन है। पिता-पुत्र, भाई-भाई, पति-पत्नी और माँ-पुत्र के संबंधों मार्मिक वर्णन किया।
उन्होंने सोमवार को राम के वनगमन के दृश्य को सुनाते हुए कहा कि कैकई को दिए गए दशरथ के वचन के बाद राम 14 वर्ष के वनवास की तैयारियों में लग गए पुरे आयोध्यावासी दुखी हो गए। राम, भाई लक्ष्मण और सीता वन जाने निर्णय लिए और अपना धर्म निभाया। सुमित्रा और लक्ष्मण संवाद का जिक्र करते उन्होंने कहा है सुमित्रा ने जब लक्ष्मण से कहा कि भगवान राम के प्रति जागते और स्वप्न में भी विकार न लाना। तब लक्ष्मण ने 14 वर्ष तक न सोने का संकल्प लिया था। कहा कि संकल्प लेना सरल निभाना कठिन है।
उन्होंने कहा कि लक्ष्मण वन गमन के पूर्व जब अपनी पत्नी उर्मिला से मिलने गए तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि, मैं इतनी धन्य हूं कि आपको भगवान राम की सेवा का अवसर मिला। मैं इसमें बाधा नहीं बनूंगी क्योंकि धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपद काल परखिए चारी कहावत के अनुसार पत्नियों का यह धर्म बनता है कि अपने पति को पतन से बचाए। यही भारतीय नारी का धर्म है।
व्यास पीठ पूजन कुलपति प्रो. राजाराम यादव, डॉ. लालजी त्रिपाठी, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. अजय द्विवेदी, डॉ. विजय कुमार सिंह, डॉ. विजय प्रताप तिवारी, डॉ. केएस तोमर, डॉ. अवध बिहारी सिंह, सुरेंद्र त्रिपाठी, निपेंद्र सिंह, डॉ. सुधीर उपाध्याय, डॉ. सुधांशु शेखर, शील निधि सिंह, प्रदीप सिंह, अनिल सिंह छांगुर, राघवेंद्र सिंह ,भावना रघुवंशी, शालिनी उपाध्याय, तृप्ति श्रीवास्तव ने किया। संचालन डॉ. मनोज मिश्र ने किया। इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य टीडी कालेज डॉ. अरुण कुमार सिंह, प्रो. वंदना राय, प्रो. वीडी शर्मा, प्रो. अविनाश पार्थडीकर, प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. राम नारायण, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. जान्हवी श्रीवास्तव समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
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