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Jaunpur Live : जिसके जीवन में इगो होगा उसके जीवन में भगवान कभी नहीं आते : स्वामी रामभद्राचार्य



Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जौनपुर। शचीपुरम गांव में आयोजित गोलोकवासी माता शची देवी और पिता राजदेव मिश्र की स्मृति में श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा में विषय श्रीकृष्ण बाल चरित्र, गोवर्धन धारण  की कथा करते हुए कथा ब्यास चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी ने कहा कि जिसके जीवन में इगो होगा उसके जीवन में भगवान कभी नहीं आते हैं। सामान्य आदमी भी अगर हैं हमेशा भगवन्नाम लेता है तो उसे प्रेम से वंदन पूजन करता हैं तो भगवान दौड़े आते है। कथा के प्रारंभ में जगद्गगुरु जी ने बहुत से श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर  शालीनता से दिया। जिसमें शेषधर शुक्ला का प्रश्न हैं। पहला पाठ कब प्रारंभ हुआ था। जगद्गगुरु जी का उत्तर सबसे पहले पाठ करने के लिए धैर्य और लय पाठ के लिए अति आवश्यक है।



वाल्मीकि रामायण में पहला पाठ किया गया था। जगद्गगुरु जी ने पाणिनि अष्टाध्यायी ग्रंथ का लेखन कार्य पूरा हो गया है जो लगभग तीन हजार पृष्ठों में हैं। जगद्गगुरु जी ने आज फिर कहा कि बहुत अधिक प्रेम मुझे अपने जन्म भूमि से है और भारत में किसी संत को नहीं मिला है। गाँव के  लोगों ने मुझे कभी नाम से नहीं पुकारा हैं। संयासी से कभी अधिकार नहीं जताना चाहिए। आज की कथा में भगवान बाल रुप गोविंद के अवतार की कथा के रूप में बताया जिसमें भगवान की दिव्य दिव्य, लीलाओं की कथा में कहा कि भगवान के 10 अवतार हैं मतस्यावतार, कक्षपावतार, वाराह अवतार, नरसिंह अवतार, वामनावतार, परशुराम अवतार, भगवान राम का अवतार कृष्ण अवतार बुद्ध वारहअवतार अंतिम अवतार कलकि अवतार आदि। हमारे भगवान किसी अन्य देश में जन्म नहीं लिया है बस भारत में ही अवतार लेते हैं। किसी अन्य देश की महिला भगवान को अपने गर्भ में धारण नहीं कर सकती हैं। मतस्यावतार में ब्रम्हा जी के मुख से वेद जी को हरदैत्य नामक दैत्य ने छीन लिया। तब भगवान ने मछली का रूप धारण कर पृथ्वी पर भवनामनु जी मतस्यावतार भगवान ने सींग में बांध दिया। आगे कथा में भगवान की ब्रज लीलाओं में दशावतार में दैत्यों का समूल नाश किया सबसे पहले पूतना को मारा। सकासुर, प्रणव्रत, बकासुर, अघासुर, संघचुड, त्रुणासुर, अरिसष्टा सुर आदि 10 दैत्य का वध भगवान ने किया। जगद्गगुरु जी ने एक मधुर"" स्वर में चलो चलो री सखी, बधाई देने लालन को। आज सफल भये नयन हमारे। परमेश्वर ब्रज भूमि पधारे। गाओं रे गाओं मंगलचार""। पंडाल में सभी नाचते गाते हुए भावविभोर हो गए। इस अवसर पर प्रतिदिन जगद्गगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के संयोजकत्व में क्षेत्र के लोगों के लिए नि:शुल्क आयुर्वेद चिकित्सा, एलोपैथी, चिकित्सा, योग व प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का भी बृहद आयोजन किया जा रहा है। मुबंई से डॉ. अभय शुक्ला, डॉ. प्राची दिवेदी मुबंई एवं डॉ. सनेहिल शिराडे, डॉ. अदिति मुंबई और डॉ. रामजी पांडेय मुख्य चिकित्सा अधिकारी जौनपुर की टीम में डॉ. जयशंकर सिंह, डॉ. शिवराम मिश्र, ओमप्रकाश सिंह, प्रक्षा प्रकाश राय सभी विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इलाज किया। मंच संचालन आयुष्मान जय मिश्र ने किया। कथा के आयोजक रमापति मिश्र, चंद्रकांत मिश्र, ओमप्रकाश मिश्र, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. ओमप्रकाश शुक्ला मुंबई और पं. दिनकर दिवेदी, लक्ष्मी शंकर पाठक जंघई, राकेश पांडेय लखनऊ, एसपी मिश्र, शेषधर शुक्ला, आचार्य दिनेश जयोतिषी, आचार्य वाचस्पति मिश्र, संतोष त्रिपाठी पूर्व प्रमुख सुजानगंज, विनय कुमार सिंह बदलापुर, प्रत्यूष मिश्र, अमृताशु मिश्र, प्रांजल मिश्र, हिमांशु मिश्र, आचार्य मनोज शास्त्री, मयंक दिवेदी, सतीश चंद्र दुबे, हषर्वर्धन द्विवेदी सहित हजारों लोगों ने कथा का रसपान किया। उक्त आशय की जानकारी मीडिया प्रभारी एसपी मिश्र ने दी।

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